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अदालत ने आर्यन खान, सात अन्य आरोपियों को भेजा जेल

By भाषा | Updated: October 7, 2021 22:16 IST

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मुंबई, सात अक्टूबर मुंबई तट के पास एक क्रूज जहाज से कथित तौर पर मादक पदार्थ जब्त होने से संबंधित मामले में यहां की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और सात अन्य आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस दौरान न्यायाधीश ने एनसीबी की हिरासत अवधि बढ़ाए जाने की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि अस्पष्ट आधार पर हिरासत प्रदान नहीं की जा सकती।

अदालत ने कहा कि जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की जाएगी।

स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने आर्यन खान और अन्य आरोपियों की एनसीबी हिरासत अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि साजिश की कड़ियों का खुलासा करने के लिए आरोपियों का सामना इस मामले में गिरफ्तार अन्य व्यक्ति से कराए जाने की जरूरत है। हालांकि, अदालत ने इसे अनुमति नहीं दी।

गोवा जा रहे क्रूज पर तीन अक्टूबर को की गई छापेमारी के दौरान आर्यन खान, मुनमुन धमेचा और अरबाज मर्जेंट को एनसीबी ने गिरफ्तार किया था जबकि बाकी पांच अन्य आरोपियों को अगले दिन गिरफ्तार किया गया था।

बृहस्पतिवार को रिमांड अवधि समाप्त होने पर आरोपियों को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आर एम नेर्लिकर के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

एनसीबी आरोपियों को 11 अक्टूबर तक हिरासत में रखना चाहती थी। एजेंसी ने अदालत से कहा कि उसने आर्यन और मर्चेंट के बयानों के आधार पर अचित कुमार को गिरफ्तार किया है। एनसीबी ने कहा कि साजिश का पर्दाफाश करने के लिए आरोपियों का कुमार से सामना कराए जाने की जरूरत है।

सभी आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि एनसीबी की आरोपियों की हिरासत अवधि बढ़ाने की याचिका का मकसद कुमार से आरोपियों का सामना कराना है।

कुमार को बुधवार शाम को गिरफ्तार किया गया था। उसे बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां से कुमार को नौ अक्टूबर तक एनसीबी की हिरासत में भेज दिया गया।

अदालत ने कुमार की गिरफ्तारी के समय को ध्यान में रखते हुए कहा कि जब आर्यन और कुमार एनसीबी की हिरासत में थे और उन्हें अदालत में पेश किए जाने तक कोई जांच नहीं की गई।

अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष के वकीलों की दलील है कि एजेंसी को अब तक की गई जांच का ब्यौरा देना चाहिए जोकि उसके द्वारा दायर रिमांड आवेदन में दिखाई नहीं पड़ती है।

अदालत ने कहा कि बिना पुष्ट कारण के हिरासत प्रदान नहीं की जा सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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