अदालत ने मुस्लिम पति के निरंकुश विवेकाधिकार से जुड़ी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

By भाषा | Updated: October 8, 2021 19:04 IST2021-10-08T19:04:06+5:302021-10-08T19:04:06+5:30

Court seeks response from Center on petition related to absolute discretionary powers of Muslim husband | अदालत ने मुस्लिम पति के निरंकुश विवेकाधिकार से जुड़ी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

अदालत ने मुस्लिम पति के निरंकुश विवेकाधिकार से जुड़ी याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बिना किसी कारण और नोटिस के अपनी पत्नी को तलाक (तलाक-उल-सुन्नत) देने के एक मुस्लिम पति के ‘‘पूर्ण विवेकाधिकार" को दी गई चुनौती को खारिज करने वाले अपने आदेश की समीक्षा की अपील करने वाली याचिका पर केंद्र का जवाब मांगा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसके आदेश की समीक्षा का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र का रूख जानना चाहा जिसमें पत्नी को बिना किसी कारण के और बिना नोटिस दिये तलाक (तलाक-उल-सुन्नत) देने के एक मुस्लिम व्यक्ति के ‘ कल्पित निरंकुश विवेकाधिकार’ को दी गयी चुनौती को खारिज कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने समीक्षा याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। इस याचिका में अदालत से 23 सितंबर के उसके आदेश की ‘सटीकता का परीक्षण करने की अपील की गयी है।

मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।

‘तलाक-उन-सुन्नत’ को दी गयी चुनौती को खारिज करते हुए पीठ ने कहा था , ‘‘ हमें इस याचिका में कोई दम नहीं नजर आता है क्योंकि संसद पहले ही इस संबंध में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम बना चुकी है। यह याचिका उस हिसाब से खारिज की जाती है। ’’

पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता महिला की आशंका है कि उसका पति तलाक- ए-सुन्नत को अपनाते हुए उसे तलाक दे देगा।

उसने कहा था, ‘‘ हमारी राय में यह याचिका मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम के बनने और खासकर उसकी धारा तीन के आलोक में पूरी तरह गलत धारणा पर आधारित है । ’’

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि यह प्रथा ‘मनमानी, शरियत विरूद्ध, असंवैधानिक, भेदभावकारी एवं बर्बरतापूर्ण है’ तथा उसने अपील की कि किसी भी वक्त पत्नी को तलाक देने के कल्पित निरंकुश विवेकाधिकार को स्वेच्छाचारिता घोषित किया जाए।

यह याचिका 28 वर्षीय एक शादीशुदा मुस्लिम महिला ने दायर की है जिसने कहा है कि उसके पति ने इस साल आठ अगस्त को तीन तलाक बोलकर उसे छोड़ दिया और उसके बाद उसने वैवाहिक अधिकार की बहाली के लिए अपने पति को कानूनी नोटिस भिजवाया।

याचिका में कहा गया है कि कानूनी नोटिस के जवाब में वह व्यक्ति तीन तलाक बोलने की बात से ही पलट गया और उसने उससे (पत्नी से) उसे 15 दिनों के अंदर तलाक देने को कहा।

महिला ने कहा कि मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को अकारण तलाक देने के लिए कथित रूप से इस प्रकार विवेकाधिकार का इस्तेमाल करना प्रक्रिया का दुरूपयोग करना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Court seeks response from Center on petition related to absolute discretionary powers of Muslim husband

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे