न्यायालय ने दवा मंजूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट के कुछ हिस्से गायब होने पर डीसीजीआई की खिंचाई की
By भाषा | Updated: February 17, 2021 22:58 IST2021-02-17T22:58:13+5:302021-02-17T22:58:13+5:30

न्यायालय ने दवा मंजूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट के कुछ हिस्से गायब होने पर डीसीजीआई की खिंचाई की
नयी दिल्ली, 17 फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा कुछ दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों को मंजूरी देते समय प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं के संबंध में एक रिपोर्ट के कुछ हिस्सों के गायब होने पर बुधवार को भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) की खिंचाई की और कहा कि यह ‘‘वास्तव में चौंकाने वाली बात है’’ और यह ‘‘हंसी का विषय नहीं’’ है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने डीसीजीआई से कहा, ‘‘यह हंसी का विषय नहीं है। यह बहुत गंभीर मामला है। मैं इसे इतनी आसानी से नहीं जाने दे सकती। आप यह कैसे कह सकते हैं कि संसद के समक्ष रखी गई एक समिति की रिपोर्ट का विवरण आपके पास उपलब्ध नहीं है।’’
अदालत एक आरटीआई आवेदक प्रशांत रेड्डी टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने डॉ टीएन महापात्रा समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट की एक प्रति प्राप्त करने के लिए कई प्रयास किए थे।
सीडीएससीओ द्वारा कुछ दवाओं के क्लीनिकल परीक्षणों को मंजूरी देते समय प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई थी।
आवेदक को जब प्रति नहीं दी गई तो उन्होंने उच्च न्यायालय का रूख किया।
रेड्डी ने डीसीजीआई के सभी अभिलेखों का डिजिटलीकरण करने का अनुरोध किया है जो क्लीनिकल परीक्षणों से संबंधित हैं।
रिपोर्ट के कुछ हिस्सों के गायब होने के अलावा, अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि डीसीजीआई ने पिछले साल सितंबर में मामले में नोटिस जारी करने के बावजूद रेड्डी की याचिका पर अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।
डीसीजीआई की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के वरिष्ठ पैनल वकील राहुल शर्मा ने अदालत को बताया कि जवाब 12 फरवरी को दाखिल किया गया था, लेकिन न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि यह अभी रिकॉर्ड में नहीं है।
यहां तक कि याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि उन्हें जवाब की प्रति नहीं मिली है।
इसके बाद, अदालत ने निर्देश दिया कि 10,000 रुपये का जुर्माना जमा करने पर ही रिकॉर्ड पर जवाब लिया जाएगा।
अदालत ने कहा कि यह राशि पिछले साल दिसंबर में डीसीजीआई पर लगाए गए 15,000 रुपये के जुर्माने की राशि के अतिरिक्त होगी।
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