अनुकूल आदेश के लिये गुमराह करने पर अभियुक्त को न्यायालय ने जारी किया नोटिस

By भाषा | Published: December 26, 2020 01:27 PM2020-12-26T13:27:36+5:302020-12-26T13:27:36+5:30

Court issued notice to accused for misleading favorable order | अनुकूल आदेश के लिये गुमराह करने पर अभियुक्त को न्यायालय ने जारी किया नोटिस

अनुकूल आदेश के लिये गुमराह करने पर अभियुक्त को न्यायालय ने जारी किया नोटिस

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने एक अभियुक्त को अनुकूल आदेश पाने के लिए निचली अदालत के फैसले की गलत प्रति पेश करने और ऐसा कर उसे गुमराह करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने रिश्वत के मामले में बस जुर्माना भरने पर उसे छोड़ देने की अनुमति दी थी।

शीर्ष अदालत ने अभियुक्त एस शंकर को नोटिस जारी करते हुए उससे पूछा कि कैद से छूट संबंधी आदेश को वह क्यों न वापस ले ले और अदालत को गुमराह करने पर ‘आगे की उपयुक्त’ कार्रवाई करे।

उच्चतम न्यायालय ने 23 जुलाई, 2019 को शंकर को 1000 रूपये का जुर्माना भरने पर रिश्तवत के मामले में छोड़ दिया था, क्योंकि उसके वकील ने कहा था कि आंध्रपदेश उच्च न्यायालय ने 2000 में निचली अदालत द्वारा दिये गये फैसले के क्रियान्वयन योग्य हिस्से का ‘गलत अभिप्राय’ निकाला था।

यह दलील दी गयी थी निचली अदालत ने भादंसं के तहत आपराधिक विश्वासघात एवं साजिश तथा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अन्य आरोपों में शंकर को एक साल की कैद की सजा नहीं सुनायी थी , बल्कि उस पर बस 1000 रूपये का जुर्माना ही लगाया था।

शीर्ष अदालत ने अभियुक्त को राहत देते हुए अपने आदेश में कहा था,‘‘ चूंकि हम पाते हैं कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता पर बस 1000रूपये का जुर्माना ही लगाया था, इसलिए उच्च न्यायालय के फैसले के उसके हिसाब से स्पष्ट किया गया। उपरोक्त के आलोक में अपील निस्तारित की गई ओर स्पष्ट किया गया कि आरोपी 5 (शंकर) को .... निचली अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा कैद की कोई सजा नहीं सुनायी गयी।’’

लेकिन बाद की जांच और शीर्ष अदालत के महासचिव की रिपोर्ट से सामने आया कि प्रथम दृष्टया अभियुक्त ने कैद से बचने के लिए पीठ को गुमराह किया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के महासचिव की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हम संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता एस शंकर ने हैदराबाद की सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश द्वारा 31 दिसंबर, 2000 को सुनाये गये फैसले की गलत प्रति पेश कर इस अदालत को गुमराह किया। ’’

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए अपीलकर्ता, एस शंकर को नोटिस जारी कर पूछा जाए कि 23 जुलाई, 2019 के इस अदालत के फैसले को क्यों न वापस लिया जाए, उसमें संशोधन किया जाए और उसके खिलाफ आगे उपयुक्त कार्रवाई की जाए।’’

वकील वेंकेटेश्वर राव अनुमोलू ने शंकर की ओर से नोटिस प्राप्त किया और उस पर जवाब के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया गया है।

शंकर ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगायी थी।

शंकर को आपराधिक विश्वासघात, साजिश, भ्रष्ट तरीके समेत विभिन्न अपराधों को लेकर अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया गया था। उसे एक साल की कैद की सजा सुनायी गयी थी एवं 1000 रूपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

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Web Title: Court issued notice to accused for misleading favorable order

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