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न्यायालय ने केजरीवाल को गवाही की प्रति देने के आदेश के खिलाफ पुलिस की याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: July 1, 2021 17:27 IST

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नयी दिल्ली, एक जुलाई उच्चतम न्यायालय ने 2018 में दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के मामले में एक गवाह के बयान की प्रति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 11 अन्य विधायकों को उपलब्ध कराने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पुलिस की अपील बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। साथ ही न्यायालय ने कहा कि यह राजनीतिक रूप से ‘‘विवादित मुद्दा’’ हो सकता है लेकिन इसमें कानूनी रूप से ज्यादा कुछ है नहीं।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश आजादी का समर्थन करता है और ‘‘हम इसका समर्थन करते हैं’’ तथा साथ ही नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांत के अनुसार आरोपी के पास गवाहों के बयान की प्रति होनी चाहिए।

पीठ ने पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी की दलीलों को अस्वीकार कर दिया कि अगर उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द नहीं किया गया तो इसके कुछ गंभीर नतीजे होंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘इसका ज्यादा महत्व नहीं है। यह राजनीतिक रूप से विवादित मुद्दा हो सकता है लेकिन कानूनी रूप से यह कुछ नहीं है।’’ सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कहा कि पुलिस को निष्पक्ष रहने का कर्तव्य निभाना चाहिए और आरोपियों को बयान की प्रति दी जानी चाहिए।

गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 21 अक्टूबर को मामले में एक गवाह वी के जैन के बयान उपलब्ध कराने की केजरीवाल और सिसोदिया की याचिका को खारिज करने वाले सत्र अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि पुलिस यह चुन नहीं सकती कि किस सबूत को रिकॉर्ड में रखा जाएगा। जैन मुख्यमंत्री के सलाहकार थे।

केजरीवाल और सिसोदिया ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि अभियोजन पक्ष ने 21 फरवरी 2018 को दर्ज जैन का बयान जारी नहीं किया। उन्होंने दलील दी कि बयान की एक प्रति उन्हें दी जानी चाहिए।

यह आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट से जुड़ा है। केजरीवाल, सिसोदिया और नौ अन्य आप विधायकों को अक्टूबर, 2018 में जमानत दी गयी थी।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले दो अन्य विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गयी थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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