अदालत ने अनिल देशमुख के मामले में सीबीआई के समन को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: December 15, 2021 17:38 IST2021-12-15T17:38:44+5:302021-12-15T17:38:44+5:30

Court dismisses Maharashtra government's plea challenging CBI summons in Anil Deshmukh's case | अदालत ने अनिल देशमुख के मामले में सीबीआई के समन को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज की

अदालत ने अनिल देशमुख के मामले में सीबीआई के समन को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज की

मुंबई, 15 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के सिलसिले में जारी समन निरस्त करने और स्वतंत्र विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आग्रह किया गया था।

महाराष्ट्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में दायर इस याचिका में एसआईटी गठित करने का अनुरोध किया था। राज्य सरकार ने इस याचिका में पूर्व मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और वर्तमान पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडे को जारी सीबीआई के समन निरस्त करने का भी अनुरोध किया था। जांच एजेन्सी ने समन में देशमुख से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए उन्हें दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा था।

सीबीआई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता देशमुख के खिलाफ लगे कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने इस साल के शुरू में उनपर यह आरोप लगाए थे।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ ने बुधवार को, महाराष्ट्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राज्य अपेक्षित राहत के लिए मामला बनाने में नाकाम रहा है।

अदालत ने कहा, “ याचिकाकर्ता (महाराष्ट्र सरकार) के आचरण सहित इसकी समग्र परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य राहत के लिए कोई भी मामला बनाने में असफल रहा है।’’ अदालत ने आगे कहा, ‘‘सीबीआई जांच वापस लेने और एसआईटी गठित करने का कोई मामला नहीं बनता।’’

हालांकि, अदालत ने कहा कि राज्य के आचरण के बारे में उसकी टिप्पणिया को राज्य सरकार के आचरण और सामान्य व्यवहार में उसकी सदाशयता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि यह इस मामले में एक पक्षकार के संबंध में देखना होगा।

राज्य सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा के जरिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दील दी गई थी कि कुंटे और पांडे को जारी सीबीआई के समन दुर्भावनापूर्ण हैं।

कुंटे फिलहाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के प्रधान सलाहकार हैं। खंबाटा ने कहा था कि सीबीआई ने डीजीपी पांडे को समन किया है और उनका देशमुख के मामले से कोई लेना-देना नहीं है और एजेंसी ने उन्हें परेशान करने समन किया है।

उन्होंने यह भी दलील दी थी कि सीबीआई के निदेशक सुबोध जयसवाल, देशमुख के गृह मंत्री रहने के दौरान महाराष्ट्र के डीजीपी थे।

खंबाटा ने यह भी दावा किया था कि सीबीआई ने जयसवाल को ‘मुश्किल स्थिति’ में पाया तो एजेंसी ने मामले में सारा दोष देशमुख पर मढ़ दिया।

उन्होंने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि जांच एसआईटी को स्थानांतरित की जाए और जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति करने की जाए।

सीबीआई के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने खंबाटा की दलीलों का विरोध किया और कहा कि एजेंसी की जांच में कोई दुर्भावना नहीं है।

उन्होंने कहा कि देशमुख की जांच जयसवाल के कारण नहीं, बल्कि बंबई उच्च न्यायालय के पांच अप्रैल के आदेश के बाद की जा रही थी।

देशमुख ने इस साल अप्रैल में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। पिछले महीने प्रतवर्तन निदेशालय ने उन्हें धनशोधन के मामले में गिरफ्तार कर लिया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

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Web Title: Court dismisses Maharashtra government's plea challenging CBI summons in Anil Deshmukh's case

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