Coronavirus: स्वामीनारायणन संप्रदाय ने दुनियाभर में अपने सभी मंदिर बंद किये
By भाषा | Published: March 15, 2020 06:11 AM2020-03-15T06:11:01+5:302020-03-15T06:11:01+5:30
बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम (बीएपीएस) स्वामीनारायणन संस्था ने बताया कि अमेरिका, कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में स्थित मंदिरों को बंद कर दिया गया है और भारत एवं अफ्रीका स्थित मंदिरों को जल्द, संभवत: एक हफ्ते में बंद किया जाएगा।
स्वामी नारायण संप्रदाय ने तेजी से फैलते कोरोना वायरस के मद्देनजर दुनियाभर में अपने सभी मंदिर बंद करने और अगले आदेश तक सभी नियमित गतिविधियां निलंबित करने का ऐलान किया है ताकि स्वयंसेवकों, श्रद्धालुओं और स्थानीय समुदाय की सेहत की रक्षा की जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर चुका है। इससे अब तक 5 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अमेरिका में 41 लोगों की मौत भी शामिल है। इसके अलावा दुनियाभर में 1,34,000 से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं।
बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम (बीएपीएस) स्वामीनारायणन संस्था ने बताया कि अमेरिका, कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में स्थित मंदिरों को बंद कर दिया गया है और भारत एवं अफ्रीका स्थित मंदिरों को जल्द, संभवत: एक हफ्ते में बंद किया जाएगा।
बीएपीएस स्वामीनारायणन संस्था के अमेरिका में लगभग 100 मंदिर हैं। बीएपीएस स्वयंसेवक के माध्यम से चलने वाला संगठन है जिसका उद्देश्य हिंदू विचारों और आस्था, एकता और निस्वार्थ सेवा के जरिये व्यक्ति का विकास कर समाज में सुधार लाना है। बीएपीएस ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, ''बड़ी सभाओं से बचने के लिये पूरी दुनिया में बीएपीएस मंदिर बंद रहेंगे, लेकिन श्रद्धालु प्रत्येक मंदिर की वेबसाइट के माध्यम से दैनिक दर्शन कर सकेंगे।''
विज्ञप्ति में कहा गया कि बीएपीएस दुनियाभर के श्रद्धालुओं और हिंदुओें को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देना जारी रखेगा ताकि वे अपनी आस्था एवं अध्यात्म को जिंदा रख सकें। संगठन ने कहा कि वह उन शहरों और कस्बों के स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है जहां पर ये मंदिर स्थित हैं।
विज्ञप्ति के मुताबिक संगठन स्थानीय नियामकों के प्रति प्रतिबद्ध है और स्थानीय समुदाय को कोरोना वायरस से निपटने में मदद करते रहेंगे जैसा उसने पहले की आपदाओं के दौरान किया था।
अटलांटा में हृदयरोग विशेषज्ञ कश्यप पटेल ने कहा, ‘‘सामाजिक समागम में सत्संग होता है लेकिन विशेष परिस्थितियों में हमें दूसरे रास्ते तलाशने होंगे। हमने महसूस किया है हमारे गुरु और संतों ने आध्यात्मिक यात्रा के लिए दूसरे की सेवा करने पर जोर दिया है लेकिन इस आपदा ने दुनिया को कुछ पलों के लिए बदल दिया है।’’