coronavirus: एम्स में अलग वार्ड, निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, हम तैयार हैं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 24, 2020 05:44 PM2020-01-24T17:44:28+5:302020-01-24T17:44:28+5:30
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, “दिल्ली या भारत में कहीं से भी आने वाले कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों की देखभाल और इलाज के लिये हमारे यहां एक अलग वार्ड बनाया गया है।”
राष्ट्रीय राजधानी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने नए कोरोनावायरस से संक्रमित होने के किसी भी संदिग्ध मामले के सामने आने पर इलाज मुहैया कराने के लिये एक अलग वार्ड बनाया है और वहां बिस्तर तैयार रखे गए हैं।
नया कोरोनावायरस (एनसीओवी) विषाणुओं की ऐसी प्रजाति से आता है जिसके कारण सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर सांस संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। खास बात यह है कि चीन में अब तक 26 लोगों की जान ले चुका यह विषाणु नया है और इसे पहले नहीं देखा गया। चीन में इससे अब तक 830 लोग प्रभावित हो चुके हैं।
यह चीन के वुहान शहर के सी-फूड एवं पशु बाजार से फैला और संदेह है कि इसका प्रसार अमेरिका तक हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक नए कोरोनावायरस के लक्षणों में बुखार, कफ, सांस संबंधी समस्याएं शामिल हैं। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, “दिल्ली या भारत में कहीं से भी आने वाले कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों की देखभाल और इलाज के लिये हमारे यहां एक अलग वार्ड बनाया गया है।”
उन्होंने कहा, “संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान बीमारी के प्रसार को रोकने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिये उपकरणों समेत सभी ऐहतियाती उपाय किये गए हैं।” गुलेरिया ने कहा कि प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण सुविधा के लिये अस्पताल की तैयारियों की भी समीक्षा की गई।
उन्होंने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो हमारे पास अलग वार्ड को बढ़ाने और ऐसे मरीजों के इलाज की सुविधा है।” उन्होंने कहा कि ऐहतियाती उपाय के तहत लोगों को हाथ की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सफर करने पर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बुखार, कफ और कमजोरी से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करना चाहिए। एम्स निदेशक के मुताबिक इस खतरनाक विषाणु से निपटने के लिये फिलहाल कोई तय इलाज, एंटीबायोटिक या दवा उपलब्ध नहीं है और सिर्फ निमोनिया का सहायक इलाज ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिये निवारक दवा रणनीतियों को अपनाना चाहिए।