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Migrant crisis: लॉकडाउन के दौरान घर गए दो-तिहाई प्रवासी कामगार लौटना चाहते हैं शहर, सर्वेक्षण में खुलासा, जानिए कारण

By भाषा | Updated: August 3, 2020 17:32 IST

करीब 4,835 परिवार शामिल हुए। यह अध्ययन आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम (भारत), ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, ग्रामीण सहारा, आई-सक्षम, प्रदान, साथी-यूपी, सेस्टा, सेवा मंदिर और ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया फाउंडेशन ने मिलकर किया है।

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ठळक मुद्देअध्ययन 24 जून से 8 जुलाई के बीच 11 राज्यों के 48 जिलों में 4,835 परिवारों के त्वरित आकलन पर आधारित है। पता चला कि 29 फीसदी प्रवासी शहरों में लौट चुके हैं और 45 फीसदी शहरों में वापस आना चाहते हैं। ‘‘अध्ययन में गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव की बात सामने आई है, जिसके चलते अपने घरों को लौटे करीब दो-तिहाई प्रवासी या तो शहरों में वापस आ गये हैं या आना चाहते हैं।’’

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान अपने घरों को चले गए प्रवासी कामगारों में से करीब दो-तिहाई गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव में या तो शहरों को लौट चुके हैं अथवा लौटना चाहते हैं।

एक सर्वेक्षण में यह तथ्य निकल कर आया है जिसमें करीब 4,835 परिवार शामिल हुए। यह अध्ययन आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम (भारत), ऐक्शन फॉर सोशल एडवांसमेंट, ग्रामीण सहारा, आई-सक्षम, प्रदान, साथी-यूपी, सेस्टा, सेवा मंदिर और ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया फाउंडेशन ने मिलकर किया है।

यह अध्ययन 24 जून से 8 जुलाई के बीच 11 राज्यों के 48 जिलों में 4,835 परिवारों के त्वरित आकलन पर आधारित है। इसमें पता चला कि 29 फीसदी प्रवासी शहरों में लौट चुके हैं और 45 फीसदी शहरों में वापस आना चाहते हैं। अध्ययन में कहा गया, ‘‘अध्ययन में गांवों में कौशल आधारित रोजगार के अभाव की बात सामने आई है, जिसके चलते अपने घरों को लौटे करीब दो-तिहाई प्रवासी या तो शहरों में वापस आ गये हैं या आना चाहते हैं।’’

प्रवासी शहर लौटे हैं उनमें से 80 फीसदी से अधिक गांवों में मजदूरी का काम कर रहे थे

इसमें यह भी पता चला कि जो प्रवासी शहर लौटे हैं उनमें से 80 फीसदी से अधिक गांवों में मजदूरी का काम कर रहे थे, जो दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में कौशल आधारित रोजगार की कमी है। एक चौथाई से अधिक प्रवासी श्रमिक अब भी गांवों में रोजगार की तलाश में हैं।

अध्ययन के मुताबिक प्रत्येक चार परिवारों में से एक (24 फीसदी) अपने बच्चों को स्कूल से निकालने के बारे में सोच रहा है। इसमें कहा गया, ‘‘कठिनाइयां अभी बहुत हैं, ढांचागत बदलाव अब भी नजर नहीं आ रहा बल्कि ग्रामीण भारत में कोविड-19 का स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहा है।’’

अध्ययन में पता चला कि 43 फीसदी परिवारों ने भोजन में कटौती की है और 55 फीसदी ने कहा कि उन्होंने खाने की वस्तुएं घटाई हैं। आर्थिक कठिनाइयों के चलते करीब छह फीसदी परिवारों ने घरों का सामान गिरवी रखा और 15 फीसदी को अपने मवेशी बेचने पड़े।

कोविड-19 के कारण मई से अभी तक 50,000 से ज्यादा भारतीय घर लौटे हैं : रिपोर्ट

प्राकृतिक तेल संसाधन के मामले में धनी ओमान के कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित होने के बाद मई से अभी तक, पिछले तीन महीने में 50,000 से ज्यादा भारतीय यहां से अपने देश लौट गए हैं। टाइम्स ऑफ ओमान ने मस्कट स्थित भारतीय दूतावास के हवाले से सोमवार को अपनी खबर में लिखा है, मई से ओमान में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने लगे थे, जिसके बाद कंपनियों और देश के सामाजिक संगठनों द्वारा चार्टर्ड किए गए कुल 198 विमानों से 35,000 भारतीय घर गए हैं।

बयान के अनुसार, भारत सरकार के वंदे भारत मिशन के तहत 97 विमानों से 17,000 और भारतीय घर लौट गए। संयुक्त अरब अमीरात के अखबार गल्फ न्यूज की खबर के अनुसार, ओमान स्थित भारतीय दूतावास में द्वितीय सचिव अनुज स्वरूप ने बताया कि ओमान में वंदे भारत मिशन की शुरुआत नौ मई से हुई और अभी तक वहां से कुल 105 विमानों में हजारों की संख्या में भारतीय घर लौटे हैं।

स्वरूप ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन के पांचवें चरण की योजना बनायी है। उन्होंने बताया कि पांचवें चरण के तहत अगस्त के पहले पखवाड़े में 19 विमान भारत के अलग-अलग राज्यों में पहुंचेंगे। ओमान में अभी तक 79,159 लोगों के संक्रमित होने और संक्रमण से 422 लोगों के मरने की सूचना है। 

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