नई दिल्ली: कोरोना की जांच तथा इलाज के लिए दिशानिर्देश तथा रणनीति तय करने वाली भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को यह पता ही नहीं है कि प्रयोगशालाओं द्वारा जांच के लिए संक्रमितों से कितनी कीमत वसूली जा रही है.
इतना ही नहीं हर रोज कोरोना के आंकड़े जारी करने वाली स्वास्थ्य मंत्रालय की इस केंद्रीय एजेंसी को विभिन्न पद्धतियों से हो रही जांच की संख्या की भी जानकारी नहीं है.
कोरोना की जांच के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत वसूले जाने के बारे में 'लोकमत समाचार' के सवाल पर एजेंसी ने पूरी तरह पल्ला झाड़ते हुए गेंद राज्यों के पाले में डाल दी. सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी पर आईसीएमआर की प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक डॉ. निवेदिता गुप्ता ने केवल इतना ही कहा कि 'यह राज्य सरकारों के दायरे में है.'
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत
कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के लिए उत्तरप्रदेश में 600, कर्नाटक में 800 तथा महाराष्ट्र सरकार ने 980 रुपए तय किए हैं, जबकि गोवा, गुजरात, तमिलनाडु तथा बिहार में इस टेस्ट के लिए लोगों को 1500 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. हालांकि आईसीएमआर ने अभी भी इसकी कीमत 2,400 निर्धारित कर रखी है.
इसके चलते दिल्ली तथा देश के कई दूसरे भागों में संक्रमितों को इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. आईसीएमआर को किस पद्धति से हुए कितने टेस्ट ? आईसीएमआर ने बताया कि कोरोना जांच के लिए आरटीपीसीआर, ट्रूनेट, सीबीएनएएटी तथा एंटीजन पद्धतियां अपनाई गई हैं.
किस पद्धति से कितनी जांच, ये आंकड़ा भी मौजूद नहीं
हालांकि उसके पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि किस पद्धति से कितनी जांच कराई गई हैं. इस बारे में ICMR का कहना है कि यह जानकारी राज्य सरकारों के पास है.
15 सितंबर तक 6.5 करोड़ टेस्ट एजेंसी ने बताया कि 15 सितंबर तक देशभर में कोरोना की 6.498 करोड़ से अधिक जांच की गईं. इनमें से सबसे अधिक लगभग 2.4 करोड़ टेस्ट केवल अगस्त में तथा सितंबर में पहले पंद्रह दिनों में 1.66 करोड़ से अधिक टेस्ट किए गए.