कोरोना संकटः रैपिड टेस्टिंग किट के आयात में देरी कैसे, ICMR अधिकारी दिलाते रहे झूठा दिलासा, 28 मार्च को दिया गया ऑर्डर

By हरीश गुप्ता | Updated: April 22, 2020 06:55 IST2020-04-22T06:49:59+5:302020-04-22T06:55:41+5:30

जब कोराना वायरस महामारी आईसीएमआर और इसके विशेषज्ञों की उम्मीद से काफी तेजी से पूरे देश में फैल गई तो यह खतरे की घंटी जैसी स्थिति बन गई. उसके बाद रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के आयात के लिए पहली निविदा 24 मार्च को जारी की गई और 28 मार्च को बोलियां बंद की गईं.

Coronavirus: ICMR delays the import of rapid testing kits, order dated March 28, Narendra modi government | कोरोना संकटः रैपिड टेस्टिंग किट के आयात में देरी कैसे, ICMR अधिकारी दिलाते रहे झूठा दिलासा, 28 मार्च को दिया गया ऑर्डर

रैपिड टेस्टिंग किट के आयात में देरी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी पर मंत्रीसमूह (जीओएम) का गठन 1 फरवरी को किया था.भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट के आयात के मुद्दे पर 24 मार्च तक सोती रही.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी पर मंत्रीसमूह (जीओएम) का गठन 1 फरवरी को किया था. इसके बावजूद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट के आयात के मुद्दे पर 24 मार्च तक सोती रही. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आईसीएमआर जो चिकित्सा उपकरणों के आयात, परीक्षण और निर्माता को आदेश देने के लिए उच्च शक्तिशाली सरकारी निकाय है, उसने इन रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण किटों की खरीद के लिए ऑर्डर देना उचित नहीं समझा.

रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट 30 मिनट के भीतर कोरोना वायरस संक्रमण को खोजने में सक्षम है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्यों और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों की बार-बार की अपील के बावजूद आईसीएमआर ने इस पर भरोसा नहीं किया कि इन रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के परीक्षण परिणाम सटीक होते हैं.

आईसीएमआर ने इस बात पर जोर देता रहा कि आरटी-पीसीआर ही कोरोना वायरस संक्रमण का एकमात्र विश्वसनीय परीक्षण है. इसमें 48 घंटे लग सकते हैं, लेकिन रैपिड टेस्ट किट के आयात की कोई आवश्यकता नहीं है. जब कोराना वायरस महामारी आईसीएमआर और इसके विशेषज्ञों की उम्मीद से काफी तेजी से पूरे देश में फैल गई तो यह खतरे की घंटी जैसी स्थिति बन गई. उसके बाद रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के आयात के लिए पहली निविदा 24 मार्च को जारी की गई और 28 मार्च को बोलियां बंद की गईं.

मांग बढ़ने के कारण रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट कहीं दिख नहीं रहे थे और भारतीय अधिकारी इधर-उधर दौड़ लगा रहे थे. आईसीएमआर के प्रवक्ता मीडिया से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट के 5 मार्च, फिर 8 अप्रैल, उसके बाद 12 अप्रैल को भारत आने का दावा करते रहे. आखिरकार ये टेस्ट किट 17 अप्रैल को ही चीन से निकले.

चूंकि दुनियाभर में इन किटों की मांग बहुत अधिक थी और आपूर्तिकर्ताओं ने इनके दाम काफी बढ़ा दिए थे, इसलिए भारत को लंबा इंतजार करना पड़ा. आईसीएमआर ने राज्यों को 21 अप्रैल को इन परीक्षण किटों की आपूर्ति की. आईसीएमआर ने 5 लाख किट आने के बाद दूसरे देशों को 45 किट की आपूर्ति का आदेश दिया.

सरकारी एजेंसी की दूसरी बड़ी भूल  

रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट संवेदनशील और भीड़भाड़ वाली जगहों में कोरोना वायरस मामले की खोज और निरीक्षण के लिए बहुत उपयोगी है. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकारी एजेंसी की यह दूसरी भयंकर भूल थी. पहली गलती लाखों विदेशियों को बिना परीक्षण देश में आने देना था. सबसे खराब बात इन टेस्ट किटों में खामियां मिलना है, जिसके कारण परीक्षण दो दिनों तक स्थगित करने पड़े.

Web Title: Coronavirus: ICMR delays the import of rapid testing kits, order dated March 28, Narendra modi government

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