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भारत में मानूसन से कोरोना बढ़ने का खतरा ज्यादा, मास्क पहनना एकमात्र बचाव, 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने कहा

By एसके गुप्ता | Updated: July 6, 2020 20:42 IST

हाल ही में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ से हवा में वायरस होने को लेकर अपनी सिफ़ारिशों को संशोधित करने को कहा है।

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ठळक मुद्देप्रो. बिश्वजीत कुंडू ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि वैज्ञानिकों का तर्क बिल्कुल ठीक है। वैज्ञानिकों की चिंता भी डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में हवा में मौजूद छोटे ड्रापलेट्स को लेकर है।प्रोफेसर बिश्वजीत कुंडू ने लोकमत से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा में ड्रॉपलेट्स से फैलता है।

नई दिल्लीः लंबे समय से डब्ल्यूएचओ की धारणा रही है कि कोरोना वायरस ‘बड़े ड्रॉपलेट्स’ से फैलता है। संस्था का मानना है कि ‘एक बार बीमार व्यक्ति के शरीर से छींकने या खांसने पर ये वायरस तुरंत ज़मीन पर थूक के ज़रिए गिर जाता है। 

ऐसे में इसके हवा में होने की आशंका नहीं होती है। हाल ही में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ से हवा में वायरस होने को लेकर अपनी सिफ़ारिशों को संशोधित करने को कहा है।

इस बारे में आईआईटी दिल्ली में सिस्मोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और हाल ही में कोविड डिटेक्शन किट इजाद करने वाली कोर टीम के सदस्य रहे प्रो. बिश्वजीत कुंडू ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि वैज्ञानिकों का तर्क बिल्कुल ठीक है।

लेकिन अगर वायरस हवा में भी फैलता है और छोटे ड्रॉपलेट्स कोरोना के मुख्य संवाहक बन रहे हैं तो ऐसे में एक मात्र बचाव मास्क पहनना है। इन वैज्ञानिकों की चिंता भी डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में हवा में मौजूद छोटे ड्रापलेट्स को लेकर है।

प्रोफेसर बिश्वजीत कुंडू ने लोकमत से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा में ड्रॉपलेट्स से फैलता है

प्रोफेसर बिश्वजीत कुंडू ने लोकमत से कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा में ड्रॉपलेट्स से फैलता है। यह ड्रॉपलेट्स गर्मी में जल्दी सूखते हेँ और नमी वाले सीजन में इन्हें सूखने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए इसलिए कहा जा है क्योंकि अगर सामने वाला व्यक्ति संक्रमित है ओर उसने मास्क नहीं पहना हुआ है और आप भी उसके समीप खड़े हैं।

अगर संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है तो ऐसे में उसकी छींक या खांसी से कोरोना संक्रमण के संवाहक ड्रॉपलेट्स करीब दो गज तक जा सकते हैं। अगर मौसम में मई-जून जैसी गर्मी है तो यह ड्रापलेट्स कुछ ही देर में सूख जाएंगे और वायरस का खतरा उस जगह से खत्म हो जाएगा। मगर नमी और चिपचिपे मौसम में यह खतरा ज्यादा देर तक बना रहता है।

अगर बारिश नहीं हो रही है और मौसम में नमी है हवा भी तेज नहीं चल रही तो समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में अगर संक्रमित व्यक्ति ने और सामने वाले व्यक्ति ने मास्क पहना हुआ है तो डरने की बात नहीं है। यह सारी बातें खुले वातावरण में संक्रमण को लेकर हैं।

बंद कमरे में नमी होने से ड्रापलेट्स लंबे समय तक बना रहेगा। खासकर मानसून सीजन में, ऐसे में अगर कोई संक्रमित व्यक्ति कमरे में छींकता है और बाकी व्यक्ति कमरे में सांस लेते हैं तो उन्हें संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

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