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भारत में कोरोना को इन 3 हॉटस्पॉट जगहों पर फैलने से रोका गया, जानें कैसे इन जगहों पर कोरोना से मिली जीत

By अनुराग आनंद | Published: April 11, 2020 3:32 PM

दिल्ली सरकार का दावा है कि दिलशाद गॉर्डन में कोरोना को रोकने के लिए जारी अभियान के तहत 15 दिनों तक की गई मेहनत के बाद इस इलाके को कोरोना मुक्त कर लिया है।

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ठळक मुद्देमार्च के तीसरे सप्ताह में भीलवाड़ा में 27 कोरोना मरीज मिले थे, अब एक भी नहीं है।महाराष्ट्र के इस्लामपुर में संक्रमितों की संख्या 26 तक पहुंची तो लोग डर गए, लेकिन बाद में प्रशासन की मदद से इसे रोक दिया गया।

नई दिल्ली: भारत इन दिनों कोरोना महामारी के संक्रमण की समस्या का सामना कर रहा है। देश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। देश के जिन तीन इलाकों में कोरोना काफी तेजी से फैल रहा था, उनमें दिल्ली का दिलशाद गॉर्डन, महाराष्ट्र का इस्लामपुर व राजस्थान का भीलवाड़ा था। इन तीनों ही जगहों पर प्रशासन के प्रयासों से कोरोना को फैलने से रोक दिया गया है। 

कोरोना से जीतने के लिए प्रशासन ने पुलिस व सरकार की मदद से न सिर्फ पूरी तरह से इन इलाकों को सील किया बल्कि काफी तेजी से इस क्षेत्र में लोगों के जांच किए गए। यही नहीं खाने-पीने व हर तरह की व्यवस्था होम डिलीवरी  के माध्यम से कर दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि कोरोना वायरस को फैलने से इन इलाकों में पूरी तरह से रोक दिया गया। आइए जानते हैं कैसे इन तीनों जगहों पर कोरोना से जीत मिली है-

दिल्ली के दिलशाद गार्डन को पूरा तरह सील कर कोरोना पर काबू पाया गयादिल्ली के पहले हॉटस्पॉट दिलशाद गार्डन में बीते 10 दिनों में एक भी कोरोना से संक्रमण का नया केस सामने नहीं आया है। एक के बाद एक कुल 8 संक्रमित मिलने के बाद इस इलाके में सरकार का ऑपरेशन शील्ड चलाया था। ऑपरेशन के दौरान 81 से अधिक लोगों की जांच भी की गई है, जिसमें किसी को कोरोना नहीं मिला है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि दिलशाद गार्डन में पहला ऑपरेशन शील्ड चलाया गया। हजारों लोगों को क्वारंटाइन किया गया। अब यह क्षेत्र कोरोनामुक्त कर लिया गया है। 

सरकार का दावा है कि इस अभियान के तहत 15 दिनों तक की गई मेहनत के बाद इस इलाके को कोरोना मुक्त कर लिया है। अभी निगरानी कुछ दिनों तक जारी रहेगी।  8 मामले सामने आने पर दिलशाद गार्डन और पुरानी सीमापुरी के कुछ इलाके सील कर दिए गए थे। एहतियात से केस नहीं बढ़े। इलाके को सील कर आवाजाही को बंद कर दिया गया। कॉलोनी में लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया।123 मेडिकल टीम ने घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की। 

राजस्थान का भीलवाड़ा बना देश भर के लिए मॉडल-मार्च 2020 में राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना के मरीजों की संख्या अचानक तेजी से बढ़कर 27 हो गई। लेकिन अब यहां एक भी कोरोना मरीज नहीं है। भीलवाड़ा मॉडल को अब देश भर में कोरोना रोकने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। मार्च के तीसरे सप्ताह में यहां 27 कोरोना मरीज मिले थे। करीब 20 दिन के बेहतर प्रबंधन के बाद अब यह कोरोना से मुक्त है। 

दरअसल, जिले के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने तेजी दिखाते हुए सबसे पहले जिले की सीमाएं सील कर दीं। पहले से लागू लॉकडाउन को यहां काफी सख्त कर दिया गया। जरूरी सेवाओं के लिए खुलने वाली दुकानों को भी बंद कर दिया गया। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी गई। मेडिकल टीम के अलावा शहर में किसी के लिए प्रवेश मुमकिन नहीं था।

राशन और दूध जैसी सामग्री घर-घर पहुंचाने का इतंजाम किया गया। 1500 लोगों को आइसोलेट किया गया और इनके घर के बाहर जवान तैनात कर दिए गए। घर-घर सर्वे और लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई। क्वारंटाइन के लिए जिले के सभी होटल, गेस्ट हाउस, अस्पताल और हॉस्टल को अधिग्रहित कर लिया गया। शहरी और ग्रामीण इलाकों में लगातार हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कराया गया।  

इस्लामपुर में प्रशासन के प्रयासों ने कोरोनो पर किया काबूबता दें कि महाराष्ट्र के सांगली जिले के एक कस्बे का नाम इस्लामपुर है। 23 मार्च को यहां एक परिवार के चार लोग पॉजिटिव मिले तो 70 हजार की आबादी वाला यह कस्बा परेशान हो उठा। लेकिन करीब 18 दिन बाद भी यहां संक्रमितों की संख्या 26 तक पहुंची और ये सभी उन्हीं 4 लोगों के संपर्क में आए लोग हैं। इनमें से 9 तो बुधवार तक घर भी लौट गए। इस परिवार के बाहर यह वायरस फैल नहीं सका। अब यह हॉटस्पॉट संक्रमण मुक्त हो चुका है। वजह है जिला प्रशासन की तेजी और हॉटस्पॉट सील मॉडल। 

दरअसल, जिला प्रशासन ने कोरोना के मामले को बढ़ते देख तुरंत एक डिस्ट्रिक्ट रैपिड ऐक्शन फोर्स का गठन किया। इन्हें पहली जिम्मेदारी दी गई पॉजिटिव मिले 4 लोगों के नजदीकी लोगों को की पहचान करना। इस परिवार के निवास स्थान से एक किलोमीटर दायरे को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया। जिला कलेक्टर अभिजीत ने कहा, 'हमने 53 हाई रिस्क और 436 लो रिस्क कॉन्टैक्ट्स की पहचान की। जिनमें लक्षण दिखे उन्हें आइसोलेशन में भेजा और जांच कराई। जिनमें कोई लक्षण नहीं था उन्हें क्वारंटाइन करके रखा गया।' 

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