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Corona Lockdown: असमंजस में यूएई से आए तीन भारतीयों के शव लौटाए, फेक न्यूज से बढ़ रही सरकार की परेशानी

By नितिन अग्रवाल | Updated: April 30, 2020 07:17 IST

कोरोना लॉकडाउन में सोशल मीडिया में आ रहे फर्जी संदेश सरकार और लोगों की परेशानियां बढ़ा रहे हैं, वहीं कई बार सरकारी फरमान भी असमंजस पैदा कर रहे हैं. अक्सर जब तक सरकार का आदेश जमीनी स्तर पर क्रियान्वित होने तक पहुंचता है तब तक नया आदेश जारी हो चुका होता है.

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ठळक मुद्देदिल्ली के इंदिरागांधी अतंर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर असमंजस के चलते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से कार्गो विमान में लाए गए तीन अप्रवासी भारतीयों के शव वापस लौटा दिए गए.इनमें से दो का संबंध पंजाब और एक का उत्तराखंड से था. यूएई स्थित भारतीय दूतावास द्वारा प्रमाणित किया गया था कि मौत कोरोना के कारण नहीं हुई थी

नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन में सोशल मीडिया में आ रहे फर्जी संदेश सरकार और लोगों की परेशानियां बढ़ा रहे हैं, वहीं कई बार सरकारी फरमान भी असमंजस पैदा कर रहे हैं. अक्सर जब तक सरकार का आदेश जमीनी स्तर पर क्रियान्वित होने तक पहुंचता है तब तक नया आदेश जारी हो चुका होता है. इससे सरकारी महकमों में ही असमंजस पैदा होता और खामियाजा भुगतना पड़ता है आम लोगों को.

दिल्ली के इंदिरागांधी अतंर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इसकी बनगी देखने को मिली जब असमंजस के चलते संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से कार्गो विमान में लाए गए तीन अप्रवासी भारतीयों के शव वापस लौटा दिए गए. इनमें से दो का संबंध पंजाब और एक का उत्तराखंड से था. यूएई स्थित भारतीय दूतावास द्वारा प्रमाणित किया गया था कि मौत कोरोना के कारण नहीं हुई थी लेकिन गृहमंत्रालय के अधीन काम करने वाले आब्रजन अधिकारियों ने यह कहकर शवों को उतरने की मंजूरी देने से मना कर दिया कि इसके लिए गृहमंत्रालय की भी मंजूरी लेनी होगी.

गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह असमंजस मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी एक आंतरिक निर्देश के कारण हुआ जिसमें कोरोना संक्रमण से मौत के मामले में शव लाने के लिए नए नियमों का हवाला दिया गया था. मौके पर मौजूद अधिकारियों ने समझा कि यह सभी प्रकार के शवों के बारे में है जिसके चलते शवों को दोबारा भेजा गया और परिजनों को यह शव शनिवार की बजाय सोमवार को मिल सका. दुकानें खोलने को लेकर हुआ असमंजस इसी तरह 24 अप्रैल को भी गृहमंत्रालय के निर्देश के बाद दिल्ली सहित देशभर में कई स्थानों पर दुकानें खोली गई लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उन्हें दोबारा बंद करा दिया. दरअसल गृहमंत्रालय का अंग्रेजी भाषा में जारी यह सर्कुलर पेचीदा कानूनी तरीके से तैयार किया गया था जिसके असमंजस पैदा हुआ.

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