नई दिल्ली: भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए राहत की खबर है। कोरोना गाइडलान्स में बदलाव किया गया है, जिसके मुताबिक 22 जनवरी से जोखिम वाले देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए अलगाव की सुविधा अनिवार्य नहीं रहेगी। यदि किसी यात्री को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसके सैंपल को आगे आईएनएसएसीओजी (INSACOG) प्रयोगशाला नेटवर्क में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा। उन्हें निर्धारित मानक प्रोटोकॉल के अनुसार उनका इलाज या आइसोलेट किया जाएगा।
गुरुवार को जारी संशोधित 'गाइडलाइन्स फॉर इंटरनेशनल अराइवल्स' के अनुसार, नई गाइडलाइन 22 जनवरी से अगले आदेश की घोषणा होने तक लागू रहेगी। शेष प्रावधान संशोधित दिशा-निर्देशों में पहले की तरह ही रहेंगे।
बता दें कि मौजूदा दिशानिर्देशों में कहा गया है कि किसी भी देश से आने वाले यात्रियों को 'जोखिम में' माना जाता है, उन्हें आइसोलेशन सुविधा में प्रबंधित किया जाएगा और निर्धारित मानक प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया जाएगा। लेकिन अब संशोधित दिशानिर्देशों में विदेशों से भारत आगमन पर " अनिवार्य क्वारंटाइन सुविधा" को हटा दिया गया है।
यानी अब कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले विदेशी आगंतुक को भारत में 8वें दिन नेगेटिव परीक्षण करने और आरटी-पीसीआर परीक्षण करने के बाद भी सात दिनों के लिए घरेलू क्वारंटाइन से गुजरना होगा।
बता दें कि देश में बढ़ते कोविड मामले और ओमीक्रोन के केस को देखते हुए केंद्र ने 11 जनवरी से इंटरनेशनल यात्रियों को 7 दिन के लिए होम क्वारंटाइन को अनिवार्य किया था। इसके साथ ही आठवें दिन उनका RTPCR टेस्ट जरूरी है। इसके अलावा यात्रियों को अपनी नेगेटिव RTPCR रिपोर्ट की भी जानकारी को उपलब्ध कराने को कहा था।