लाइव न्यूज़ :

कोरोना संकट: 55 फीसदी परिवार दिन में केवल दो वक्त का खाना ही जुटा पाए

By भाषा | Updated: July 19, 2020 17:02 IST

सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि लॉकडाउन की सबसे अधिक मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी और इसके चलते छिनी आजीविका ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई।

Open in App
ठळक मुद्देकोरोना वायरस के चलते भारत में 25 मार्च को पूर्ण लॉकडाउन लागू हुआ थालॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों और गरीबों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी

कोविड-19 के दौरान उत्पन्न चुनौतियों को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि एक अप्रैल से लेकर 15 मई तक के बीच 24 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में करीब 55 फीसद परिवार दिन में महज दो वक्त का खाना ही जुटा पाए। देश में 5,568 परिवारों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

बच्चों के अधिकारों के लिए कार्यरत गैर सरकारी संगठन ‘वर्ल्ड विजन एशिया पैसफिक’ द्वारा जारी ‘एशिया में सर्वाधिक संवेदनशील बच्चों’ पर कोविड-19 के असर से संबंधित आकलन में पाया गया कि फलस्वरूप भारतीयों परिवारों पर पड़े आर्थिक, मनोवैज्ञानिक एवं शारीरिक दबाव ने बच्चों के कल्याण के सभी पहलुओं पर असर डाला जिनमें खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य देखभाल, जरूरी दवाएं, स्वच्छता आदि तक पहुंच और बाल अधिकार एवं सुरक्षा जैसे पहलू शामिल हैं।

इस अध्ययन में एक अप्रैल से लेकर 15 मई तक 24 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली तथा जम्मू कश्मीर) के 119 जिलों में 5,668 परिवारों पर सर्वेक्षण किया गया। इसमें मुख्य रूप से सामने आया कि कोविड-19 के चलते 60 प्रतिशत से अधिक अभिभावकों/देखभाल करने वाले पारिवारिक सदस्यों की आजीविका पूरी तरह या गंभीर रूप से प्रभावित हुई।

दिहाड़ी मजदूर इस सर्वेक्षण का सबसे बड़ा हिस्सा थे। अध्ययन में कहा गया है, ‘‘करीब 67 फीसद शहरी अभिभावकों/देखभाल करने वाले पारिवारिक सदस्यों ने पिछले हफ्तों में काम छूट जाने या आय में कमी आने की बात कही।’’ इस रिपोर्ट के निष्कर्ष से खुलासा हुआ कि सर्वेक्षण में शामिल परिवारों में से 55.1 फीसद परिवार दिन में महज दो वक्त का खाना ही जुटा पाए जो सामर्थ्य चुनौती के कारण भोजन आपूर्ति तक उनकी सीमित पहुंच को दर्शाता है।

अध्ययन में सामने आया कि केवल 56 फीसद लोग ही हमेशा स्वच्छता संबंधी चीजें जुटा पाए जबकि 40 फीसद कभी-कभार ऐसा कर पाए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पर्याप्त पानी एवं स्वच्छता तक पहुंच एक चुनौती है जिससे कुपोषण एवं कोविड-19 समेत बीमारियों के प्रसार का खतरा बढ़ जाता है। ’’ इसमें कहा गया है, ‘‘आय चले जाने, स्कूल की कमी, बच्चों के आचरण में बदलाव, पृथक-वास कदमों से परिवार पर आए दबाव के चलते बच्चों को शारीरिक सजा एवं भावनात्मक उत्पीड़न से दो-चार होना पड़ा।’’

टॅग्स :कोरोना वायरसकोरोना वायरस लॉकडाउनकोविड-19 इंडिया
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यCOVID-19 infection: रक्त वाहिकाओं 5 साल तक बूढ़ी हो सकती हैं?, रिसर्च में खुलासा, 16 देशों के 2400 लोगों पर अध्ययन

भारत'बादल बम' के बाद अब 'वाटर बम': लेह में बादल फटने से लेकर कोविड वायरस तक चीन पर शंका, अब ब्रह्मपुत्र पर बांध क्या नया हथियार?

स्वास्थ्यसीएम सिद्धरमैया बोले-हृदयाघात से मौतें कोविड टीकाकरण, कर्नाटक विशेषज्ञ पैनल ने कहा-कोई संबंध नहीं, बकवास बात

स्वास्थ्यमहाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 12 मामले, 24 घंटों में वायरस से संक्रमित 1 व्यक्ति की मौत

स्वास्थ्यअफवाह मत फैलाओ, हार्ट अटैक और कोविड टीके में कोई संबंध नहीं?, एम्स-दिल्ली अध्ययन में दावा, जानें डॉक्टरों की राय

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई