नई दिल्लीः कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार संक्रमण फैल रहा है। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में पहुंच रहे लक्षणमुक्त सभी यात्रियों के लिए घर में आवश्यक रूप से 14 दिन तक पृथक-वास में रहने की अवधि बुधवार को घटाकर सात दिन कर दी। सरकार ने एक आदेश में सभी जिलाधिकारियों को नियम के क्रियान्वयन पर नजर रखने का निर्देश दिया। यह आदेश आज ऐसे दिन आया जब दिल्ली में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 1,513 मामले सामने आए हैं।
इसके अलावा दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोरोना से मरने वाले रोगियों के मृत शरीर के निपटान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। वहीं, दिल्ली सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और अस्पतालों की समग्र तैयारियों पर गौर करने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की है।
इस समिति के गठन का आदेश मंगलवार को जारी किया गया, जिस दिन दिल्ली में कोरोना वायरस के सर्वाधिक 1,298 नए मामले सामने आए। आदेश के अनुसार, आईपी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ महेश वर्मा, जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुनील कुमार, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ आर के गुप्ता और मैक्स अस्पताल के समूह चिकित्सा निदेशक डॉ संदीप बुद्धिराजा समिति के सदस्य हैं।
विशेषज्ञों ने पहले चेतावनी दी कि लॉकडाउन में दी जा रही ढील से राष्ट्रीय राजधानी समेत भारत में कोरोना वायरस के मामले अचानक तेजी से बढेंगे। मशहूर फेफड़ा विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार ने चेतावनी दी है कि जून के आखिर तक भारत में कोविड-19 मामलों की संख्या में भारी वृद्धि नजर आने जा रही है। कई अस्पतालों में मुर्दाघर कथित रूप शवों से भर गये हैं।
नगर निकायों ने कहा हैं कि कोविड-19 के सत्यापित और संदिग्ध मरीजों के शव बड़ी संख्या में श्मशान घाटों और कब्रिस्तान में लाये जा रहे हैं। दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए तीनों नगर निगमों ने कोविड-19 के मरीजों के शवों का निस्तारण की अपनी क्षमता दोगुणी कर ली है। बिना लक्षण वाले हजारों मरीजों को दिशानिर्देशों के अनुसार घर में पृथक वास में रहने का निर्देश दिया गया है।