कोविड-19 के उपचार के लिए ‘लाल चींटी की चटनी’ जैसे परंपरागत उपचार का आदेश नहीं दिया जा सकता : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: September 9, 2021 19:34 IST2021-09-09T19:34:22+5:302021-09-09T19:34:22+5:30

Conventional remedies like 'red ant chutney' cannot be ordered to treat COVID-19: Supreme Court | कोविड-19 के उपचार के लिए ‘लाल चींटी की चटनी’ जैसे परंपरागत उपचार का आदेश नहीं दिया जा सकता : उच्चतम न्यायालय

कोविड-19 के उपचार के लिए ‘लाल चींटी की चटनी’ जैसे परंपरागत उपचार का आदेश नहीं दिया जा सकता : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, नौ सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पूरे देश में कोविड-19 के उपचार के लिए परंपरागत चिकित्सा या घरेलू चिकित्सा के इस्तेमाल का आदेश नहीं दे सकता है। इसके साथ ही अदालत ने वह याचिका खारिज कर दी जिसमें घातक वायरस संक्रमण के उपचार के लिए ‘लाल चींटी की चटनी’ का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘देखिए कई परंपरागत चिकित्सा हैं, यहां तक कि हमारे घरों में भी परंपरागत चिकित्सा होती है। इन उपचारों के परिणाम भी आपको खुद ही भुगतने होते हैं, लेकिन हम पूरे देश में इस परंपरागत चिकित्सा को लागू करने के लिए नहीं कह सकते हैं।’’

पीठ ने ओडिशा के आदिवासी समुदाय के सदस्य नयधर पाधियाल को कोविड-19 रोधी टीका लगवाने का निर्देश देते हुए याचिका खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील अनिरुद्ध सांगनेरिया ने कहा कि ओडिशा उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी थी और उन्होंने फैसले को चुनौती दी थी।

पीठ ने कहा, ‘‘समस्या तब शुरू हुई जब उच्च न्यायालय ने आयुष मंत्रालय के महानिदेशक और वैज्ञानक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) को तीन महीने के अंदर लाल चींटी की चटनी को कोविड-19 के उपचार के तौर पर इस्तेमाल के प्रस्ताव पर निर्णय लेने के लिए कहा। हम इसे खत्म करना चाहते हैं।’’

इसने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहते। इसलिए विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’

याचिका में कहा गया कि लाल चींटी और हरी मिर्च को मिलाकर बनाई गई चटनी को ओडिशा और छत्तीसगढ़ सहित देश के आदिवासी क्षेत्रों में बुखार, खांसी, ठंड, थकान, सांस की समस्या और अन्य बीमारियों में दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

याचिका में दावा किया गया कि ‘‘लाल चींटी की चटनी’’ औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसमें फॉर्मिक एसिड, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और जिंक होता है तथा कोविड-19 के उपचार में इसके प्रभाव को परखने की जरूरत है।

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