अगर तीस हजारी कोर्ट में CISF तैनात होती तो वहां हिंसा नहीं होती, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा
By भाषा | Published: January 8, 2020 02:12 PM2020-01-08T14:12:50+5:302020-01-08T14:12:50+5:30
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के अध्यक्षता में एक पीठ ने कहा कि ‘‘अगर वहां सीआईएसएफ तैनात होती तो दिल्ली वाली वह घटना नहीं हुई होती।’’ पीठ शायद तीस हजारी की हालिया घटना का जिक्र कर रही थी। पिछले साल नवंबर में तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प हुई थी।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए कुछ अदालतों में सीआईएसएफ के एक विशेष कैडर की तैनाती की संभावना पर विचार करे।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के अध्यक्षता में एक पीठ ने कहा कि ‘‘अगर वहां सीआईएसएफ तैनात होती तो दिल्ली वाली वह घटना नहीं हुई होती।’’ पीठ शायद तीस हजारी की हालिया घटना का जिक्र कर रही थी। पिछले साल नवंबर में तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प हुई थी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी इस पीठ में हैं। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सीआईएसएफ का एक अलग कैडर होना चाहिए जो प्रधान न्यायाधीश के फैसले के बाद कुछ न्यायालयों में सुरक्षा मुहैया कराए।
इस मामले में न्यायमित्र के रूप में पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लुथरा ने कहा कि वकीलों के लिए समस्या हो सकती है और यह उचित होगा कि इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से भी विचार लिया जाए। इसके बाद पीठ ने अदालतों में सीआईएसएफ की तैनाती पर विचार जानने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया।