'UPA से बाहर की पार्टी ना दें सलाह', 'सामना' के लेख पर कांग्रेस का पलटवार
By स्वाति सिंह | Updated: December 26, 2020 20:56 IST2020-12-26T20:53:29+5:302020-12-26T20:56:38+5:30
शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया, कांग्रेस के नेतृत्व में एक 'यूपीए' नामक राजनीतिक संगठन है। उस ‘यूपीए’ की हालत एकाध ‘एनजीओ’ की तरह होती दिख रही है।

शिवसेना को हिदायत देते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कहा कि जो पार्टी यूपीए का हिस्सा नहीं, वो यूपीए के नेतृत्व के बारे में कांग्रेस को सलाह न दे।
मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस पार्टी और यूपीए पर निशाना साधा गया है। इसक बाद कांग्रेस ने पलटवार किया है। दरअसल, इस लेख में राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए परोक्ष रूप से यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की वकालत की गई है। इसके साथ ही शिवसेना को हिदायत देते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कहा कि जो पार्टी यूपीए का हिस्सा नहीं, वो यूपीए के नेतृत्व के बारे में कांग्रेस को सलाह न दे। सोनिया जी का नेतृत्व सक्षम है।'
सामना में लिखा गया, कांग्रेस के नेतृत्व में एक 'यूपीए' नामक राजनीतिक संगठन है। उस ‘यूपीए’ की हालत एकाध ‘एनजीओ’ की तरह होती दिख रही है। ‘यूपीए’ के सहयोगी दल भी किसानों के असंतोष को गंभीरता से लेते दिखाई नहीं देते। ‘यूपीए’ में कुछ दल होने चाहिए लेकिन वे कौन और क्या करते हैं? इसको लेकर भ्रम की स्थिति है। वहीं, इस मसले पर महाराष्ट्र कांग्रेस नेता नसीम खान ने भी शिवसेना पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन दिया है। शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है, इसलिए यूपीए के बारे में शिवसेना को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं है और शिवसेना को यह ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमारी पार्टी हमेशा मौजूदा कृषि कानूनों के खिलाफ रही है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी मजबूती के साथ किसानों के साथ खड़ी है।