कृषि कानून वापसी पर राहुल गांधी बोले, अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 19, 2021 10:50 AM2021-11-19T10:50:14+5:302021-11-19T11:09:22+5:30
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!’’
पीएम मोदी के द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद जहां कई लोग उनके इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं तो कई इस फैसले को किसानों की जीत कह रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की पीएम मोदी की घोषणा के बाद सोशल मीडिया ट्विटर पर सरकार पर तंज कसते हुए लिखा है देश के अन्नदाताओं ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!’’ अपने इस ट्वीट में उन्होंने अपी एक पुरी वीडियो को भी शेयर किया है। जिसमें राहुल गांधी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार एक दिन ये कानून वापस लेने को मजबूर होगी।
देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021
अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो!
जय हिंद, जय हिंद का किसान!#FarmersProtesthttps://t.co/enrWm6f3Sq
उधर किसान नेता राकेश टिकैत ने पीएम मोदी के इस फैसले के बाद ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।
आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा ।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 19, 2021
सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें : @RakeshTikaitBKU#FarmersProtest
आपको बता दें कि शुक्रवार को प्रकाश पर्व के अवसर पर देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने क्षमा मांगते हुए इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।