पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप दर्ज किये जाने की निंदा करते हुए मीडिया संगठनों ने ‘अघोषित आपातकाल’ होने की बात कही

By भाषा | Updated: January 30, 2021 22:25 IST2021-01-30T22:25:59+5:302021-01-30T22:25:59+5:30

Condemning the filing of sedition charges against journalists, media organizations have spoken of an 'undisclosed emergency'. | पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप दर्ज किये जाने की निंदा करते हुए मीडिया संगठनों ने ‘अघोषित आपातकाल’ होने की बात कही

पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप दर्ज किये जाने की निंदा करते हुए मीडिया संगठनों ने ‘अघोषित आपातकाल’ होने की बात कही

नयी दिल्ली, 30 जनवरी गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और हिंसा पर रिपोर्टिंग को लेकर छह वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप दर्ज किये जाने की मीडिया संगठनों ने शनिवार को निंदा की और आरोप लगाया कि देश में ‘अघोषित आपातकाल’ जैसे हालात हैं।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, इंडियन वीमेन्स प्रेस कोर, दिल्ली पत्रकार संघ और भारतीय पत्रकार संघ समेत अनेक मीडिया संगठनों ने यहां विरोध स्वरूप बैठक की और पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज किये जाने की निंदा की।

वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आनंद सहाय ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार को लोकतंत्र की फिक्र नहीं है और आलोचना की छोटी सी भी आवाज पर लोगों को जेल में डाला जा सकता है।

सहाय ने कहा, ‘‘आपातकाल में भी पत्रकारों के खिलाफ नियम इतने कठोर नहीं थे। मुझे नहीं याद आता कि कोई देशद्रोह के आरोप में जेल गया हो।’’

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद के जोस के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। उन पर 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान रिपोर्टिंग के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी।

दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष एस के पांडेय ने आरोप लगाया कि हालात ‘अघोषित आपातकाल’ जैसे हैं।

एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई उन्हें ‘‘डराने और सताने’’ के मकसद से की गयी है।

राजदीप सरदेसाई ने कहा कि मतभेद होने के बावजूद पत्रकार बिरादरी को सरकार की गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किये जाने की प्रवृत्ति के खिलाफ साथ आने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज पत्रकार वाम, दक्षिण और मध्यमार्गी में बंटे हुए हैं। मैं इस बहस में नहीं जाऊंगा। आप मणिपुर में हों या कश्मीर में या कांग्रेस शासित राज्यों में हों या भाजपा शासित राज्य में हों, देशद्रोह के मामले में प्रत्येक पत्रकार के बीच सर्वसम्मति होनी चाहिए।

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Web Title: Condemning the filing of sedition charges against journalists, media organizations have spoken of an 'undisclosed emergency'.

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