मुंबईः महाराष्ट्र में बदलते जनसंख्या रुझानों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक विचारक डॉ. सुरेश चौहान ने चिंता व्यक्त की है। मुंबई में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में सामाजिक और जनसंख्या संरचना में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। डॉ. चौहान ने टाटा समूह से जुड़ी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि देश के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि और धर्मांतरण से जुड़े रुझानों पर गंभीर अध्ययन की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय को निशाना बनाना नहीं, बल्कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर सरकार और समाज का ध्यान संभावित भविष्य की चुनौतियों की ओर आकर्षित करना है।
मुंबई का विशेष उल्लेख करते हुए डॉ. चौहान ने कहा कि महानगर में मुस्लिम आबादी के अनुपात में वृद्धि देखी जा रही है और यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो आने वाले समय में यहां जनसंख्या संतुलन में बड़ा बदलाव संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी का प्रभाव बढ़ने के दावे सामने आ रहे हैं, जिन पर तथ्यात्मक समीक्षा आवश्यक है।
हिंदू समाज से अपील करते हुए डॉ. चौहान ने जनसंख्या और शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की कि यदि कोई हिंदू परिवार तीसरे बच्चे को जन्म देता है, तो वे उस बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठाने को तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने निकट भविष्य में हिंदुओं के लिए एक विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की,
जिसका उद्देश्य शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना होगा। प्रेस वार्ता के अंत में डॉ. चौहान ने कहा कि जनसंख्या जैसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा तथ्य, शोध और संवैधानिक मूल्यों के दायरे में रहकर होनी चाहिए, ताकि सामाजिक संतुलन और सौहार्द बना रहे।