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उत्तर प्रदेश एसईआईएए के कार्यात्मक आडिट के लिए समिति का गठन

By भाषा | Updated: August 17, 2021 16:15 IST

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), उत्तर प्रदेश का एक कार्यात्मक ऑडिट करने के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बार बार उल्लंघन कैसे हो रहे हैं।एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्यक्ष वाली समिति गठित करने का निर्देश दिया।पीठ ने कहा, ‘‘उल्लंघन के खिलाफ उपचारात्मक कार्रवाई पर विचार करने के अलावा, अतिरिक्त सचिव, एमओईएफ एंड सीसी (पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय), जिन्हें सचिव, एमओईएफ एंड सीसी द्वारा नामित किया जाएगा और अध्यक्ष, सीपीसीबी को यह पता लगाने के लिए एसईआईएए, उत्तर प्रदेश का कार्यात्मक ऑडिट करने की आवश्यकता है कि बार बार घोर उल्लंघन कैसे हो रहे हैं और स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है।’’एनजीटी ने कहा कि समिति किसी भी अन्य विशेषज्ञ या संस्थान से सहायता लेने और हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए स्वतंत्र होगी। एनजीटी ने कहा कि एसईआईएए, उत्तर प्रदेश को उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के मद्देनजर और बार-बार और बड़े पैमाने पर उल्लंघनों के आलोक में अपने कामकाज की समीक्षा करनी होगी।एनजीटी ने अपने 13 अगस्त के आदेश में यह भी निर्देश दिया कि एमओईएफ द्वारा ऐसी पर्यावरण मंजूरी (ईसी) से निपटने के लिए एक उपयुक्त मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित की जा सकती है जिसे सभी एसईआईए को मुहैया कराया जा सकता है।अधिकरण सवफैब बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा वैध पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के बिना और अपेक्षित सुरक्षा उपायों के बिना एक निर्माणाधीन परियोजना "सेवियर पार्क", प्लॉट नंबर 108, कटोरी मिल, लोनी रोड, मोहन नगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की स्थापना में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के खिलाफ सेवियर पार्क अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, सीपीसीबी, एसईआईएए, उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और जिला मजिस्ट्रेट, गाजियाबाद की एक संयुक्त समिति का भी गठन किया और इसे निर्माण परियोजना की स्थापना में पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।उसने कहा कि संयुक्त समिति अपनी रिपोर्ट दे सकती है और सीवेज और ठोस कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी दे सकती है।एनजीटी ने कहा कि स्थिति का जायजा लेने के लिए संयुक्त समिति की बैठक आज से 15 दिनों के भीतर हो सकती है। एनजीटी ने कहा कि यह उक्त स्थान का दौरा कर सकती है और अनुपालन की स्थिति को सत्यापित करने के लिए परियोजना प्रस्तावक सहित हितधारकों के साथ बातचीत कर सकती है।अधिकरण ने कहा, ‘‘पाए गए तथ्यों के आधार पर, वैधानिक प्राधिकारी उपचारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं जिसमें तीसरे पक्ष के अधिकारों के निर्माण और आगे की निर्माण गतिविधियों को रोकना शामिल है, अगर इसमें कानून का उल्लंघन पाया जाता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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