बिहार और झारखंड में बालू खनन पर रोक?, 15 अक्टूबर तक जारी, एनजीटी ने लिया एक्शन, जमकर बालू की जमाखोरी, पांच दिनों में कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी

By एस पी सिन्हा | Updated: June 10, 2025 14:38 IST2025-06-10T14:37:32+5:302025-06-10T14:38:59+5:30

बिहार और झारखंड में रेत के खनन पर रोक पहले जहां एक हाईवा (500 सीएफटी) बालू की कीमत ₹28,000 थी, वहीं अब यह ₹33,000 तक पहुंच गई है। टर्बो (100 सीएफटी) बालू की कीमत ₹4500 से बढ़कर ₹6500 हो गई है।

Bihar Jharkhand Ban sand mining continues till 15 October NGT takes action massive sand hoarding wild rise prices 5 days | बिहार और झारखंड में बालू खनन पर रोक?, 15 अक्टूबर तक जारी, एनजीटी ने लिया एक्शन, जमकर बालू की जमाखोरी, पांच दिनों में कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी

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Highlightsबालू(रेत) खनन एक अक्टूबर की जगह 15 अक्टूबर से शुरू होगा।फिलहाल 300 से अधिक घाटों से बालू खनन नहीं किया जाएगा।झारखंड में सबसे अधिक उछाल राजधानी रांची में देखने को मिला है।

पटनाः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के तहत बिहार और झारखंड में बालू(रेत) खनन पर रोक लगा दी गई है, जो 15 अक्टूबर तक जारी रहेगी। यह रोक मानसून के दौरान नदी के घाटों के पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए लगाई गई है। इस आदेश से पहले ही बालू(रेत) माफिया और सिंडिकेट सक्रिय हो गए हैं। जमकर बालू की जमाखोरी की जा रही है, जिससे महज पांच दिनों में कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है। बिहार के खनन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस बार राज्य में साल बालू(रेत) खनन एक अक्टूबर की जगह 15 अक्टूबर से शुरू होगा।

हालांकि, एनजीटी द्वारा जारी आदेश के बावजूद रेत माफिया एनजीटी के बनाए गए नियमों को ताक पर रखकर बालू खनन गैरकानूनी तरीके से करने में जुटे हुए हैं। आलम ये है कि इन माफियाओं को कानून का भय तक नहीं है। वहीं, खनन विभाग और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। खान एवं भूतत्व विभाग के अनुसार, फिलहाल 300 से अधिक घाटों से बालू खनन नहीं किया जाएगा।

बिहार और झारखंड में रेत के खनन पर रोक पहले जहां एक हाईवा (500 सीएफटी) बालू की कीमत ₹28,000 थी, वहीं अब यह ₹33,000 तक पहुंच गई है। टर्बो (100 सीएफटी) बालू की कीमत ₹4500 से बढ़कर ₹6500 हो गई है। झारखंड में सबसे अधिक उछाल राजधानी रांची में देखने को मिला है।

राज्य सरकार ने बालू की दर ₹7.87 प्रति सीएफटी तय की है। ऐसे में 100 सीएफटी बालू की वास्तविक कीमत ₹787 और ढुलाई सहित कुल ₹3300 होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में यह बालू ₹6000 से ₹6500 में बिक रहा है। यानी दोगुनी से भी ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। इस कालाबाजारी में पुलिस, प्रशासन और कुछ स्थानीय नेताओं की मिलीभगत मानी जा रही है।

जिससे आम जनता को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। झारखंड में 44 स्वीकृत घाट हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 27 घाटों से ही वैध बालू खनन हो रहा है। करीब 100 घाटों को पर्यावरणीय मंजूरी मिलने की प्रक्रिया लंबित है। वहीं दूसरी ओर, नियमों में बदलाव के कारण नए टेंडर जारी नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में ए कैटेगरी के 400 से अधिक घाटों से अवैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है।

पलामू जिले में कोयल नदी से ग्रामीण बोरी में भरकर बालू ला रहे हैं ताकि निर्माण कार्यों में उसका उपयोग कर सकें। मोहम्मदगंज क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों ग्रामीण बालू जमा कर रहे हैं। इस दौरान राज्य के किसी भी नदी घाट से बालू की निकासी नहीं हो सकेगी, लेकिन जेएसएमडीसी के पास उपलब्ध 50 लाख क्यूबिक फीट बालू के स्टॉक से आम लोगों को बालू की आपूर्ति की जाएगी। 

उधर, बिहार में बालू(रेत) माफियाओं ने इस खेल में बालू(रेत) उठाव को लेकर जेसीबी और पोकलेन मशीन को भी नदी में उतार दिया है। जानकारी के अनुसार, सोन नदी से रोजाना हजारों की संख्या में नाव पर जेसीबी के द्वारा बालू लोड किया जाता है, जिसे बिहार और उत्तर प्रदेश के जिलों में नदी के रास्ते ले जाकर मनमाफिक दरों पर बेचा जाता है।

जिस वजह से सरकार को प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है, जबकि इस पर कार्रवाई करने वाला कोई भी नहीं है। बालू माफिया के खिलाफ सरकार ने कड़ा फैसला भी लिया है, लेकिन सरकार के द्वारा लिया गया फैसला इनके लिए शून्य के बराबर है। एनजीटी के आदेश को लेकर पेशेवर बालू(रेत) माफिया बालू का अवैध भंडारण करने में जुट गए हैं।

यही वजह है कि क्षेत्र के विभिन्न बालू-घाटों से ट्रैक्टरों के जरिये बालू का अवैध उठाव और परिवहन जोरों पर जारी है। सक्रिय बालू(रेत) माफियाओं द्वारा सोन नदी सहित राज्य की विभिन्न नदियों के आसपास में बड़े पैमाने पर किये जा रहे बालू के अवैध भंडारण को कोई भी देख सकता हैं। बावजूद नियमों को ठेंगा दिखाकर बालू(रेत) माफिया बड़े पैमाने पर बालू का अवैध खनन कर रहे हैं।

राज्य में सैकड़ों अवैध बालू घाट बनाए गए हैं, जहां से दिन-रात बालू का उठाव किया जा रहा है। इस काले कारोबार में बड़े-बड़े तस्कर पूरे जोर से सक्रिय हैं। आकाओं के संरक्षण में हो रहे इस खेल में नीचे से ऊपर तक कई सफेदपोश शामिल हैं। पूरे राज्य में बालू(रेत) माफिया का ऐसा तगड़ा नेटवर्क काम कर रहा है कि इनके डर से सरकारी तंत्र भी बड़ी-कड़ी कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पाता है।

रात के अंधेरे में रोज बालू भरकर सैंकड़ों -ट्रैक्टर यहां से निकलते हैं। जिन्हें माफिया के चट्टे-बट्टे जिले की सीमा से सुरक्षित पार कराते हैं। अवैध बालू के खेल में प्रति ट्रैक्टर 500 और हाइवा-ट्रक से 5000 रुपये तक इंट्री-पासिंग फीस वसूली जाती है। यह सब प्रशासन के लोग करते हैं। बता दें कि बिहार में रेत के खेल में कई पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो चुके है। बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन की जानकारी में यह खेल धड़ल्ले से जारी रहता है।

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