कश्मीर नहीं झारखंड के चतरा में फैला केसर का सुर्ख रंग, सात गांवों के किसानों ने 12 एकड़ में खेती की, जानिए सबकुछ

By एस पी सिन्हा | Updated: December 22, 2020 20:16 IST2020-12-22T20:14:50+5:302020-12-22T20:16:21+5:30

30 हजार रुपये खर्च कर ऑनलाइन केसर के बीज मंगाये थे. ऑनलाइन व्यापारी से संपर्क कर केसर और उसके दाने की बिक्री की थी, जिससे पांच लाख 20 हजार रुपये की आमदनी हुई.

color of saffron spread in Chatra in Jharkhand not Kashmir farmers of seven villages cultivated on 12 acres | कश्मीर नहीं झारखंड के चतरा में फैला केसर का सुर्ख रंग, सात गांवों के किसानों ने 12 एकड़ में खेती की, जानिए सबकुछ

उत्तम किस्म के केसर के उत्पादन के लिए शून्य डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है. (file photo)

Highlightsफसल तैयार हुई, तो चार किलो केसर और 12 किलो केसर का दाना बेचा था. केसर की खेती करनेवाले किसानों का कहना है कि पोस्ता की खेती पर प्रतिबंध है.अच्छी आमदनी हुई तो अगली बार बडे़ पैमाने पर खेती करेंगे.

रांचीः केसर के लिए अभी तक कश्मीर की वादियों को मुफिद माना जाता था. पूरे देश में केसर की आपूर्ति कश्मीर हे ही होती थी. लेकिन अब उसका भी काट निकल गया है.

झारखंड के चतरा जिले में बडे़ पैमाने पर केसर की खेती की जाने लगी है. चतरा के कुछ किसानों ने केसर की खेती शुरू की है. फिलहाल, कान्हाचट्टी प्रखंड के सात गांवों के किसानों ने इस बार 12 एकड़ में केसर की खेती की है. इनमें अमकुदर, गड़िया, पथेल, बनियाबांध, पचफेडी, बेंगोखुर्द व सरैया गांव के किसान शामिल हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों ने नवंबर में केसर लगाया था. छह माह में केसर तैयार हो जाता है. इन सभी किसानों के लिए प्रेरणा बने हंटरगंज प्रखंड के पंडरकोला निवासी किसान पवन सिंह भोक्ता, जिन्होंने पिछले वर्ष प्रयोग के तौर पर केसर की खेती की थी. पवन सिंह भोक्ता ने बताया कि उन्होंने सात कट्ठा में केसर की खेती की थी.

पांच लाख 20 हजार रुपये की आमदनी

उन्होंने बताया कि इसके लिए 30 हजार रुपये खर्च कर ऑनलाइन केसर के बीज मंगाये थे. फसल तैयार हुई, तो चार किलो केसर और 12 किलो केसर का दाना बेचा था. ऑनलाइन व्यापारी से संपर्क कर केसर और उसके दाने की बिक्री की थी, जिससे पांच लाख 20 हजार रुपये की आमदनी हुई.

इस बार उन्होंने 12 कट्ठा में केसर लगाया हैं. पिछले वर्ष जानकारी के अभाव में उन्होंने सस्ती दर पर केसर व दाने की बिक्री की थी. लेकिन, इस बार अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.वहीं, केसर की खेती करनेवाले किसानों का कहना है कि पोस्ता की खेती पर प्रतिबंध है.

केसर की खेती करने से किसी तरह कोई डर भय नहीं है

पोस्ता लगा भी लिया, तो पुलिस तंग करती है. जबकि केसर की खेती करने से किसी तरह कोई डर भय नहीं है. इससे अच्छी आमदनी भी होती है. अमकुदर गांव के सुरेश सिंह भोक्ता ने बताया कि पवन सिंह भोक्ता से प्रेरित होकर उन्होंने इस बार पांच कट्ठा में केसर लगाया है. बीज भी उन्होंने पवन से लिये हैं. अच्छी आमदनी हुई तो अगली बार बडे़ पैमाने पर खेती करेंगे.

इसी तरह पचफेडी के राजकुमार सिंह ने प्रयोग के तौर पर सात कट्ठा में और सरैया की सुषमा देवी ने दो कट्ठा में केसर लगाया है. इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ रंजय कुमार ने बताया कि केसर की खेती ठंड के मौसम में ही की जाती है. इसके लिए तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

उत्तम किस्म के केसर के उत्पादन के लिए शून्य डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है. जिले के कुछ क्षेत्रों में केसर की खेती शुरू हुई है. केवीके द्वारा किसानों को केसर की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे किसान अच्छी आमदनी पा सकते हैं. इस तरह से चतरा के इन ईलाकों में केसर की खेती की रौनक देखते बन रही है.

Web Title: color of saffron spread in Chatra in Jharkhand not Kashmir farmers of seven villages cultivated on 12 acres

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