Coldrif cough syrup: केरल, यूपी, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, झारखंड और पंजाब में ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप की बिक्री, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। पंजाब सरकार ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर मिलावटी दवा के सेवन से 16 बच्चों की मौत के बाद फैसला किया। पंजाब के खाद्य एवं औषध प्रशासन (एफडीए) द्वारा सोमवार को जारी आदेश में कहा गया है, ‘‘कार्यालय के संज्ञान में आया है कि सरकारी विश्लेषक, औषध परीक्षण प्रयोगशाला और एफडीए, मध्य प्रदेश द्वारा ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप को ‘‘मानक गुणवत्ता का नहीं’’ घोषित किया गया है।’’ दवा का बैच नंबर एसआर-13 है, जिसका निर्माण श्रीसन फार्मास्युटिकल, बैंगलोर हाईवे, सुंगुवरचत्रम (मथुरा), कांचीपुरम जिला, तमिलनाडु द्वारा किया गया है। आदेश में कहा गया है, ‘‘उपर्युक्त दवा के निर्माण में मिलावट पाई गई है।
क्योंकि इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल (46.28 प्रतिशत डब्ल्यू/वी) है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाता है।’’ पंजाब एफडीए के आदेश में कहा गया है, ‘‘उक्त उत्पाद को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हाल में हुई बच्चों की मौत से जुड़ा पाया गया है, इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए उपर्युक्त उत्पाद को जनहित में तत्काल प्रभाव से पंजाब राज्य में बिक्री, वितरण और उपयोग के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है।’’
आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी खुदरा विक्रेता, वितरक, पंजाब में पंजीकृत चिकित्सक, अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा संस्थान आदि उक्त उत्पाद की खरीद, बिक्री या उपयोग नहीं करेंगे। आदेश में कहा गया है कि अगर राज्य में दवा का कोई भंडार उपलब्ध है, तो इसकी जानकारी एफडीए (औषध शाखा) को प्रदान की जा सकती है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पिछले एक महीने में गुर्दों के काम करना बंद करने के कारण बच्चों की मौत की खबरें आईं। तमिलनाडु में निर्मित कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक एक अत्यधिक जहरीला पदार्थ मिला हुआ पाया गया। बच्चों की मौत की घटना के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया गया और मध्य प्रदेश में अधिकारियों को निलंबित किया गया, गिरफ्तारियां की गईं।
देश भर में दवा के भंडार जब्त किए गए, साथ ही केरल तथा कर्नाटक जैसे राज्यों में दवा संबंधी दिशानिर्देशों में तत्काल सख्त बदलाव किए गए। झारखंड सरकार ने सोमवार को तीन कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ, रेस्पीफ्रेश और रिलीफ’ की बिक्री, खरीद और उपयोग पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिसूचना में राज्य भर के सभी जिला औषधि नियंत्रकों और निरीक्षकों को प्रयोगशाला जांच के लिए दवा दुकानों और दवा वितरकों से निर्दिष्ट सिरप के नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया गया है। हानिकारक पाए जाने वाले किसी भी सिरप को तुरंत जब्त कर नष्ट कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर उन्हें दूषित कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत के आरोपों की जांच करने और नकली दवाओं की बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है।
एनएचआरसी ने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नकली दवाओं की आपूर्ति की जांच का आदेश देने और राज्यों में सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को नकली दवाओं के नमूने एकत्र करने और परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने को भी कहा है।
आयोग ने एक नोटिस में कहा, “प्राधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह संबंधित राज्यों के सभी मुख्य औषधि नियंत्रकों को नकली दवाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दें।” एनएचआरसी ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए प्रारंभिक परीक्षणों में हालांकि दवाओं में डायथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल नहीं पाया गया।
जो किडनी विषाक्तता पैदा करने वाले पदार्थ माने जाते हैं, “किडनी फेलियर और अन्य जटिलताओं से जुड़े मामलों में मौत का सही कारण अब भी अस्पष्ट है”। एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 का संज्ञान लिया है।
नोटिस में कहा गया, “रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर; प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल; तथा प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ को नोटिस जारी कर शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच कराने, कफ सिरप के नमूने एकत्र करने, उनकी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में परीक्षण कराने तथा नकली दवा की बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के निर्देश दे।”
इसमें कहा गया, “भारतीय औषधि महानियंत्रक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नयी दिल्ली को भी नकली दवाओं की आपूर्ति की जांच करने और राज्यों की सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को नकली दवाओं के नमूने एकत्र करने और नमूना परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश देने का निर्देश दिया जाता है।”
नोटिस में कहा गया है कि अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। एनएचआरसी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने बच्चों की मौत को दवा सुरक्षा, विनियमन और निगरानी प्रणालियों की गंभीर विफलता बताया है, जो जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षित दवाओं तक पहुंच के अधिकार सहित उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।