मौसम विभाग ने कहा- कड़ाके की ठंड मौसम की चरम गतिविधि का नतीजा, जिसका सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं

By भाषा | Published: January 5, 2020 01:39 PM2020-01-05T13:39:01+5:302020-01-05T14:12:34+5:30

मौसम के दीर्घकालिक पूर्वानुमान की घोषणा में मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन सर्दी ने सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। मौसम विज्ञान की भाषा में इसे मौसम की चरम गतिविधि माना जाता है।

cold weather activity, forecast prediction is not possible says forecast department | मौसम विभाग ने कहा- कड़ाके की ठंड मौसम की चरम गतिविधि का नतीजा, जिसका सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं

File Photo

बीते साल मानसून से लेकर हाल ही में कड़ाके की ठंड तक, बारंबार पूर्वानुमान गलत साबित होने पर सवालों में घिरे मौसम विभाग की दलील है कि भारत जैसे, ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में मौसम की चरम गतिविधियों का सटीक अनुमान संभव नहीं है। मौसम की चरम गतिविधियों की वजह और जलवायु परिवर्तन से इसके संबंध के बारे में पेश हैं मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव से पांच सवाल और उनके जवाब...

सवाल: सर्दी की दस्तक से पहले मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल सर्दी सामान्य से कम रहेगी। लेकिन पहले मानसून और अब सर्दी का पूर्वानुमान भी गलत साबित हुआ। क्या इसे तकनीकी खामी माना जाये?

जवाब: यह सही है कि मौसम के दीर्घकालिक पूर्वानुमान की घोषणा में मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन सर्दी ने सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। मौसम विज्ञान की भाषा में इसे मौसम की चरम गतिविधि माना जाता है। भारत जैसे ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्र में मौसम के इस तरह के अनपेक्षित और अप्रत्याशित रुझान का सटीक पूर्वानुमान लगाने की तकनीक दुनिया में कहीं भी नहीं है। पल भर में हवा का रुख बदलने वाले ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सर्दी ही नहीं, अतिवृष्टि और भीषण गर्मी जैसी मौसम की चरम गतिविधियों का दीर्घकालिक अनुमान संभव ही नहीं है। इसलिये इसे तकनीकी खामी मानना उचित नहीं है।

सवाल: अभी 20 दिसंबर के बाद बारिश होने और सर्दी कम होने के पूर्वानुमान अगले दिन ही गलत साबित हुये। क्या यह भी तकनीकी खामी नहीं है?

जवाब: मौसम विभाग देश भर में 200 पर्यवेक्षण केन्द्रों से सतह पर हर तीन घंटे में मौसम का मिजाज लेता है। साथ ही, देश में 35 स्थानों से सेंसर युक्त गुब्बारों की मदद से प्रतिदिन वायुमंडल में हवा के रुख को भांप कर मौसम के रुझान का आंकलन किया जाता है। इसरो के वैश्विक और स्थानीय उपग्रह तथा रडार से हर दस मिनट में हवा की गति, तापमान और नमी का आंकलन कर मौसम का अनुमान लगाया जाता है। भारत को इतने व्यापक इंतजाम सिर्फ ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु की विशिष्ट परिस्थिति के कारण करने पड़ते हैं क्योंकि, ऐसी जलवायु में हवा की गति और उसका रुख, मिनट मिनट पर बदलने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। यूरोप या अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों को परिवर्तनशील जलवायु नहीं होने के कारण न तो मौसम के पूर्वानुमान के इतने व्यापक इंतजाम करने पड़ते हैं ना ही वहां अनुमान गलत साबित होने की आशंका होती है। मौसम की चरम गतिविधियों के दौरान, मौसम का मिजाज तेजी से बदलने की प्रवृत्ति प्रभावी होने के कारण अल्पकालिक अनुमान भी मुश्किल से ही सटीक साबित होता है क्योंकि, ऐसे में रात और दिन का तापमान तेजी से बदलता है।

सवाल: इस बार अप्रत्याशित सर्दी की क्या वजह है?

जवाब: इसके दो कारण रहे। पहला है, हिमालय क्षेत्र से चलने वाली उत्तर पश्चिमी सर्द हवाओं का जोर, जिनके आगे पूर्व के मैदानी इलाकों से चलने वाली गर्म हवाएं कमजोर पड़ गईं। दूसरा कारण है पंजाब से लेकर मैदानी इलाकों में बने बादलों का 15 दिन का टिकना। इन दोनों वजहों के 15 दिन तक एक साथ प्रभावी होने के कारण धूप नहीं निकली और सर्द हवाओं ने जोर पकड़ कर अधिकतम तापमान को 9.4 डिग्री और न्यूनतम तापमान को शून्य तक गिरा दिया। इससे मौसम की चरम स्थिति पैदा हुयी और दिल्ली शिमला से ठंडी हो गयी। यह सिलसिला 15 दिन तक चला। 29 दिसंबर को हिमालय क्षेत्र से सक्रिय हुये पश्चिमी विक्षोभ ने सर्द हवाओं को कमजोर किया और फिर एक जनवरी से ठंड से राहत मिलने लगी।

सवाल: अत्यधिक गर्मी, उम्मीद से ज्यादा बारिश और अब अप्रत्याशित सर्दी। क्या इसे जलवायु परिवर्तन का ही असर माना जाये?

जवाब: मौसम संबंधी हमारे अपने अध्ययनों में भी मौसम की चरम गतिविधियों (एक्सट्रीम एक्टिविटी) की बात सामने आ रही है। यह बात वैश्विक स्तर पर स्थापित हो रही है कि जलवायु परिवर्तन में मौसम की चरम गतिविधियों का दौर विभिन्न रूपों में बार बार देखने को मिल रहा है। भारत में भी पिछले एक साल में गर्मी, बारिश और अब सर्दी में मौसम की चरम स्थितियां पैदा हुयीं। पिछले साल दिल्ली एनसीआर में सात फरवरी को ओलावृष्टि हुई, जून में तापमान 48 डिग्री पर पहुंचा और अभी 12 और 13 दिसंबर को 33 मिमी बारिश हुई...., मौसम की ये अप्रत्याशित और असामान्य गतिविधियां भी देखने को मिलीं। सौ साल के रिकार्ड तोड़ती मौसम की चरम गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देखना ही पड़ेगा।

सवाल: मौसम की चरम गतिविधियों का भविष्य में कैसा मिजाज रहने का अनुमान है?

जवाब: मौसम के तेजी से बदलते मिजाज को देखते हुये चरम गतिविधियों का दौर भविष्य में और अधिक तेजी से देखने को मिल सकता है। इनकी आवृत्ति में भी तेजी देखी जा सकती है। ऐसे में बारिश के अनुकूल परिस्थिति बनने पर मूसलाधार बारिश होना या गर्मी का वातावरण तैयार होने पर अचानक तापमान में उछाल या गिरावट जैसी घटनायें भविष्य में बढ़ सकती हैं। मौसम संबंधी शोध और अनुभव से स्पष्ट है कि इस तरह की घटनाओं का समय रहते पूर्वानुमान लगाना भी मुश्किल है। ऐसे में पूर्वानुमान के गलत साबित होने की संभावना भी रहेगी। 

Web Title: cold weather activity, forecast prediction is not possible says forecast department

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे