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कोचिंग सेंटर हादसा: उच्च न्यायालय ने एसयूवी चालक की गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई, कहा- क्या उसका संतुलन गड़बड़ा गया है?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 31, 2024 21:36 IST

उच्च न्यायालय कुटुंब नामक संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 27 जुलाई की शाम सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत के मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का आग्रह किया गया है।

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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत के मामले में कथित भूमिका को लेकर एक एसयूवी चालक को गिरफ्तार करने पर बुधवार को दिल्ली पुलिस की ‘अजीब’ जांच पर उसे फटकार लगाई और कहा कि ‘क्या उसका संतुलन गड़बड़ा गया है’। 

हालांकि, उच्च न्यायालय के कड़े शब्दों से जेल में बंद एसयूवी चालक को कोई राहत नहीं मिल पाई, जिसकी जमानत याचिका बाद में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज कर दी। न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार ने एसयूवी चालक मनुज कथूरिया सहित पांच आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। दिल्ली पुलिस ने कथूरिया की जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए उसे ‘‘मस्ती-खोर’’ करार दिया था। 

उच्च न्यायालय में, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि ‘अजीब जांच’ की जा रही है, जिसमें दिल्ली पुलिस एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो यहां ओल्ड राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर (घटना वाली जगह) के बाहर कार लेकर गुजरा था, लेकिन वह दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। 

अदालत ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस क्या कर रही है? क्या उसका संतुलन गड़बड़ा गया है? जांच की निगरानी कर रहे उसके अधिकारी क्या कर रहे हैं? यह लीपापोती है या क्या है?’ पीठ ने कहा कि पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जो वहां से कार लेकर गुजरा था। इसने पूछा कि क्या अब तक इस घटना के लिए (एमसीडी के) किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया गया है। 

अदालत ने कहा, ‘हम आपको बता रहे हैं कि एक बार अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय हो गई तो भविष्य में ऐसी कोई घटना नहीं होगी।’ उच्च न्यायालय कुटुंब नामक संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 27 जुलाई की शाम सिविल सेवा की तैयारी कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत के मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का आग्रह किया गया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह की याचिका में दिल्ली पुलिस को भी पक्षकार बनाने का मौखिक निवेदन स्वीकार कर लिया। 

अदलत ने कहा, ‘पुलिस कहाँ है? इस मामले की जांच कौन कर रहा है? वे किसी भी राहगीर या चालक को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आपने कार चलाई थी।’ इसने पूछा, ‘क्या किसी अधिकारी को पकड़ा गया है या उससे पूछताछ की गई है? क्या उन्होंने उस अधिकारी से पूछताछ की है जिसने इस नाले से गाद नहीं निकाली है? क्या नाले से ठीक से और समय पर गाद निकाली गई थी?’ 

अदालत ने कहा, ‘एक तरह से बहुत ही अजीब जांच हो रही है।’ इसने घटना की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से कराने का संकेत दिया और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त, संबंधित पुलिस उपायुक्त और मामले के जांच अधिकारी (आईओ) को शुक्रवार को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यह अजीब है कि अब तक किसी भी एमसीडी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। 

पीठ ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि आईओ ने गाद निकालने की योजना देखी है या स्वीकृत भवन निर्माण योजना देखी है या नहीं। हमें नहीं पता कि उसने ऐसा किया है या उसने एमसीडी अधिकारियों की भूमिका की जांच की है।’ दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह जांच की स्थिति और अदालत द्वारा उठाए गए सवालों पर आईओ से निर्देश लेंगे तथा शुक्रवार को उसे अवगत कराएंगे। 

(इनपुट- भाषा)

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