केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। वहीं, दूसरी तरफ असम में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, धुबरी के लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि यह विधेयक संविधान के विरुद्ध और हिंदू-मुस्लिम एकता के खिलाफ है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुतिबाक अजमल ने कहा कि हम इस विधेयक को खारिज कर देंगे और विपक्ष इस पर हमारे साथ है। हम इस विधेयक को पारित नहीं होने देंगे।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ 16 संगठनों का मंगलवार को असम बंद का आह्वान
वहीं, नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में वामपंथी विचारधारा वाले करीब 16 संगठनों ने 10 दिसंबर को 12 घंटे का असम बंद आहूत किया है। पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को सुबह पांच बजे से 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का पहले ही आह्वान कर चुका है।
कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है।
उन्होंने बताया कि केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबोंग्शी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के असम बंद को भी समर्थन दिया है। एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एसआईएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में “विधेयक को रद्द करने” की मांग की और मंगलवार को सुबह पांच बजे से “12 घंटे का असम बंद” आहूत किया।
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ लोगों ने असम की सड़कों पर किया प्रदर्शन
कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के आह्वान पर नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ लोगों ने गुरुवार को असम की सड़कों पर प्रदर्शन किया। केएमएसएस का कहना है कि यदि संसद में विधेयक पास होता है तो वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। विभिन्न सामाजिक और युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विधेयक को वापस लेने के समर्थन में यहाँ केएमएसएस की रैली में हिस्सा लिया।