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ताइवान से तनाव के बीच श्रीलंका पहुंचने वाला है चीनी नौसैनिक पोत, सतर्क हुआ भारत

By शिवेंद्र राय | Updated: August 4, 2022 20:18 IST

ताइवान से जारी तनाव के बीच भारत और चीन के बीच भी तकरार बढ़ सकती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और सैन्‍य ठिकानों की निगरानी रखने में सक्षम एक चीनी जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर 7 दिनों के लिए पहुंचने वाला है। इस घटना पर भारत ने श्रीलंका के समक्ष आधिकारिक तौर पर आपत्ति दर्ज करा दी है।

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ठळक मुद्देचीनी खोजी जहाज 11 अगस्त को हंबनटोटा पहुंचेगाचीनी जहाज, बेहद सक्षम और उन्‍नत नौसैनिक पोत हैभारत घटना पर कड़ी नजर बनाए हुए है

नई दिल्ली: ताइवान से जारी तनाव के बीच एक चीनी जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की तरफ बढ़ रहा जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। चीन का एक खोजी और सर्वे जहाज 11 अगस्‍त को दक्षिणी श्रीलंका में चीन द्वारा संचालित हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचने वाला है। हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद अहम है इसलिए भारत इस घटना पर करीब से नजर बनाए हुए है। चीन का ये खोजी जहाज सैटेलाइट और मिसाइल ट्रैकिंग प्रणाली से लैस है और इसे खोजबीन व पड़ताल करने के काम में महारत हासिल है। ये जहाज 11 से 17 अगस्त तक श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर रहेगा। भारत ने इस संबंध में अपनी चिंता से श्रीलंकाई अधिकारियों को अवगत करा दिया है। हालांकि श्रीलंका ने भारत के चिंता जताने के बावजूद चीनी जहाज को रोकने से मना कर दिया है।

श्रीलंका ने इस मसले पर सफाई देते हुए इसे नियमित गतिविधि बताया है और कहा है कि उसने पहले भी कई देशों को ऐसी अनुमति दी है। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्‍ता कर्नल नलिन हेराथ ने कहा कि श्रीलंका, भारत की चिंता को भलीभांति समझता है क्‍योंकि यह जहाज सैन्‍य प्रतिष्‍ठानों पर निगरानी रखने में सक्षम है लेकिन यह एक रूटीन एक्‍सरसाइज है। कर्नल नलिन हेराथ ने कहा, "भारत, चीन, रूस, जापान और मलेशिया के नौसेनिक जहाज समय-समय पर हमसे अनुरोध करते  हैं इसलिए हमने चीन को इजाजत दी है.

बता दें कि श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को चीन ने ही विकसित किया है। श्रीलंका विश्व समुदाय से बार-बार यह कहता है कि वह बंदरगाह का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। लेकिन भारत को चीन के इरादों पर भरोसा नहीं है। भारत को इस बात की आशंका है कि चीन समुद्र मे खोजी अभियान की आड़ में सैन्य जासूसी का काम भी कर सकता है। 

इस संबंध में श्रीलंका के अधिकारियों का कहना है कि वह किसी चीनी जहाज को बंदरगाह पर आने की अनुमति तभी नहीं दे सकते हैं जब वह परमाणु क्षमता वाला जहाज हो। कर्नल हेराथ ने कहा, "चीन ने हमें बताया है कि वे हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और नेविगेशन के लिए अपने जहाज को भेज रहे हैं, इसके रुकने का समय 11 से 17 अगस्‍त है।"

टॅग्स :चीनश्रीलंकाHambantotaभारतीय नौसेनाRanil Wickremesinghe
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