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पैंगोंग में चीनी पुल गैरकानूनी कब्जा, सरकार ने संसद में दी जानकारी, कहा- भारत ने अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया

By विशाल कुमार | Updated: February 5, 2022 10:15 IST

8 मीटर चौड़ा पुल, पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के फील्ड बेस के ठीक दक्षिण में स्थित है, जहां 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चीनी क्षेत्र के अस्पतालों और सैनिकों के आवास देखे गए थे।

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ठळक मुद्देपूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा जिस इलाके में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है।8 मीटर चौड़ा पुल, पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के फील्ड बेस के ठीक दक्षिण में स्थित है।विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया।

नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को संसद को बताया कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीन द्वारा जिस इलाके में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, वह 1962 से बीजिंग के गैरकानूनी कब्जे में है। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया। सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।

बता दें कि, 8 मीटर चौड़ा पुल, पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के फील्ड बेस के ठीक दक्षिण में स्थित है, जहां 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चीनी क्षेत्र के अस्पतालों और सैनिकों के आवास देखे गए थे।

2020 के बाद से दोनों पक्षों के 50,000 से अधिक सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में डेपसांग के मैदानों से लेकर उत्तर में डेमचोक क्षेत्र तक और दक्षिण में तैनात किया गया है। यह तैनाती खासकर गलवान नदी क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक गतिरोध के बाद की गई है जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।

मुरलीधरन ने यह भी कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को लेकर चीन के साथ बातचीत तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। पहला यह कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का पूरी तरह सम्मान करेंगे। 

दूसरा यह कि कोई भी पक्ष यथास्थिति बदलने का प्रयास नहीं करेगा और तीसरा सिद्धांत यह कि दोनों पक्ष सभी समझौतों का पूर्णत: पालन करेंगे।

भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों के बीच अंतिम दौर की वार्ता 12 जनवरी को हुई थी। वे इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करते हुए शेष मुद्दों के समाधान के लिए जल्द से जल्द काम करेंगे। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने की खबरों पर, सरकार ने दोहराया कि पूर्वोत्तर राज्य भारत का अभिन्न अंग है।

वहीं, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सेना के तीनों अंगों में 9,920 अधिकारियों की कमी है। मंत्री के अनुसार, सबसे अधिक 7,791 की कमी थल सेना में है। वायुसेना में 1,557 और नौसेना में 572 अधिकारियों की कमी है।

टॅग्स :चीनभारतसंसदमोदी सरकारलद्दाख
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