चीन के अतिक्रमण का खतरा बरकरार, लगातार दूसरी सर्दी सीमा पर गुजारेंगे दो लाख सैनिक
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 2, 2021 02:27 PM2021-10-02T14:27:58+5:302021-10-02T14:35:24+5:30
करीब 11 दौर की वार्ता के बाद भी चीन द्वारा लगातार एलओसी के इलाकों में अतिक्रमण जारी रखने के कारण भारतीय सेना कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती।
जम्मू: लद्दाख के मोर्चे से चिंताजनक खबर यह कही जा सकती है कि भारतीय सेना के करीब दो लाख जवानों को लगातार दूसरी सर्दी भी चीन बार्डर पर ही काटनी होगी।
करीब 11 दौर की वार्ता के बाद भी चीन द्वारा लगातार एलओसी के इलाकों में अतिक्रमण जारी रखने के कारण भारतीय सेना कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती।
लगातार दूसरी सर्दी में टिके रहने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे दो दिनों से लद्दाख में ही डेरा डाल जवानों का उत्साह बढ़ा रहे हैं। पर उनकी चिंता का कारण भी चीनी सेना की अतिक्रमणकारी नीतियां हैं। जिसमें वह समझौतों और वायदों के बावजूद लगातार भारतीय इलाकों में अतिक्रमण कर रही है।
पिछले साल मई महीने में जब चीनी सेना द्वारा लद्दाख के हजारों किमी इलाके पर कब्जे की खबरें आई तो आनन फानन में लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर करीब दो लाख फौजियों को तैनात कर दिया गया। हालांकि, गलवान वैली में एक भीषण मुठभेड़ को छोड़ कोई हिंसा की वारदात तो सामने नहीं आई पर उकसाने वाली कार्रवाइयों के किसी भी समय खूनी संघर्ष में बदल जाने का डर अभी भी बना हुआ है।
कई दौर की वार्ताओं के बाद चीनी सेना कई इलाकों से पीछे हटने को मान गई। उसने कुछ इलाकों से ऐसा नाटक करते हुए अपने ढांचों को ढहा भी दिया पर ताजा खबरें कहती हैं कि वह उन सभी इलाकों में मात्र कुछ दूरी पर फिर आकर जम चुकी है, जहां से दोनों पक्षों ने अपने सैनिक पीछे हटाने के समझौते किए थे। नतीजतन भारतीय पक्ष को भी अब सधे हुए कदमों से पुनः तैनाती करनी पड़ रही है।
लद्दाख से मोर्चे की दो अन्य खबरें चिंता में डालने वाली भी हैं। पहली यह कि भारतीय सेना अभी भी कई इलाकों में गश्त इसलिए नहीं कर पा रही है क्योंकि चीनी सेना के साथ हुए समझौतों के बाद कई इलाके बफर जोन में बदल दिए गए और शून्य से 40 से 50 डिग्री नीचे तापमान में दोनों ओर से सैनिकों की लगातार अदला बदली की जा रही है।
अगर भारतीय पक्ष 10 से 15 दिनों के बाद सैनिकों को हटा नए जवानों को तैनात कर रहा है तो खबरें कहती हैं कि चीनी सेना कई इलाकों में एक दो दिन के बाद ही ऐसा करने पर इसलिए मजबूर हो रही है, क्योंकि चीनी सैनिक अभी भी परिस्थितियों से अभ्यस्त नहीं हो पाए हैं।