दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में बारूदी सुरंग में हुए विस्फोट में बुधवार सुरक्षाबल के 10 जवानों और एक वाहन चालक की मौत हो गई। राज्य में पिछले दो वर्षों के दौरान सुरक्षाबलों पर माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है। पुलिस का कहना है कि माओवादियों ने हमले के लिए 50 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।
यह हमला तब हुआ जब डीआरजी जवान कुछ माओवादियों को हिरासत में लेकर लौट रहे थे। एएनआई से बात करते हुए बस्तर के IG सुंदरराज पी. ने कहा कि कुछ संदिग्ध माओवादी को हिरासत में लेकर पुलिस लौट रही थी, उसी दौरान एक गाड़ी पर माओवादियों ने हमला किया। अधिकारी ने कहा कि ये इलाका पूर्व में भी काफी प्रभावित रहा है। मामले में जांच की जा रही है।
दंतेवाड़ा के एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने टीओआई को बताया कि डीआरजी कर्मी तलाशी अभियान पर थे, जब माओवादियों ने आईईडी विस्फोट किया। बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने कहा कि पुलिस को पुरु हिड़मा क्षेत्र में दरभा संभाग से माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद डीआरजी टीम दंतेवाड़ा स्थित अपने मुख्यालय से रवाना हुई।
पुलिस ने बताया कि बुधवार सुबह अरनपुर से करीब सात किलोमीटर दूर नहड़ी गांव में डीआरजी और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो नक्सली गिरफ्तार किए गए। आईजी सुंदरराज ने कहा, "ऑपरेशन के बाद, जवान दंतेवाड़ा लौट रहे थे, तभी माओवादियों ने अरनपुर-समेली मार्ग पर उनके वाहन को निशाना बनाया।"
हादसे के बाद घटनास्थल का एक वीडियो सामने आया है जिसमें हमले के गहरे निशान देखे जा सकते हैं। विस्फोटक स्थल की जमीन में गड्ढे हो गए। वहीं डीआरजी जवानों की गाड़ी के परखच्चे उड़ गए। वीडियो में अलग-अलग जगहों पर गाड़ी के विभिन्न क्षतिग्रस्त हिस्से को देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि दंतेवाड़ा समेत सात जिलों में शामिल बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर मार्च और जून माह के बीच बड़ी संख्या में हमले हुए हैं। वर्ष के मार्च और जून माह के मध्य नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।
इससे पहले तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 22 जवान शहीद हुए थे। इससे पहले 21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। वहीं नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी।
इसी तरह साल 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले जिसमें 76 जवानों की मृत्यु हुई थी वह भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था।