मराठा की शान छत्रपति शिवाजी के 10 प्रेरणादायक कोट जो आपमें भर देंगे देशभक्ति का जोश
By मेघना वर्मा | Published: February 19, 2018 11:14 AM2018-02-19T11:14:44+5:302018-02-19T11:25:50+5:30
शिवाजी ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। इतिहास की बात करें तो धर्म के अनुसार राजा बनने का अधिकार सिर्फ क्षत्रियों को था।
मराठा समुदाय के गौरव का प्रतीक और महान योद्धा माने जाने वाले शिवाजी की जाति पर विवाद कई बार पैदा हुआ है और कई लेखकों और किताबों ने इसका विरोध भी किया है। भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उन्होंने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। इसी वर्ष रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वो छत्रपति बनें। शिवाजी ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। इतिहास की बात करें तो धर्म के अनुसार राजा बनने का अधिकार सिर्फ क्षत्रियों को था। ऐसे में उन्होंने जाति प्रथा की इस व्यवस्था से निकलने की कोशिश की।
मराठा साम्राज्य की शान छत्रपति शिवाजी ने अपनी नीतियों से ना सिर्फ फतह हासिल की बल्कि अपनी बातों और विचारों से लोगों में देश के प्रति जोश भी जगाया। आज भी उनके कहे गए वाक्यों से देशभक्ति और त्याग की भावना जागती है।
1. "स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।"
2. "एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।"
3. "जरुरी नहीं कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में, वीरता हो। वीरता तो विजय में है।"
4. "जब हौसले बुलन्द हों, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।"
5. "शत्रु को कमजोर न समझो तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नहीं चाहिए।"
6. "जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यों न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।"
7. "सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर। अतः पहले खुद को नहीं राष्ट्र को देखना चाहिए।"
8. "अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।"
9. "इस जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।"
10. "अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नहीं बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नहीं, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।"
भारत में एक से बढ़कर एक वीर योद्धा हुए हैं। इन वीर योद्धाओं में छत्रपति शिवाजी में से एक हैं। जिन्हें आज भी एक महान योद्धा के रूप में जाना जाता है।