हवा का रुख बदलने से दिवाली के बाद गहरा सकता है दिल्ली में दमघोंटू हवा का संकट

By भाषा | Published: October 27, 2019 04:25 PM2019-10-27T16:25:49+5:302019-10-27T16:25:49+5:30

दिवाली से पहले हवाओं का रुख बदलने और इनकी गति मद्धिम पड़ने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान और दिवाली में पटाखों के कम ही सही, लेकिन वायु प्रदूषण बढ़ाने में मददगार बनने वाले संभावित असर ने दिल्ली की चिंता को बढ़ा दिया है।

Changing wind trend may deepen the crisis in Delhi after Diwali | हवा का रुख बदलने से दिवाली के बाद गहरा सकता है दिल्ली में दमघोंटू हवा का संकट

हवा का रुख बदलने से दिवाली के बाद गहरा सकता है दिल्ली में दमघोंटू हवा का संकट

Highlights25 अक्टूबर तक अधिकतम गति 20 से 22 किमी प्रतिघंटा रहने के बाद 27 अक्टूबर को 10 से 12 किमी प्रति घंटा रही। वायु प्रदूषण बढ़ाने में मददगार बनने वाले संभावित असर ने दिल्ली की चिंता को बढ़ा दिया है।

दिवाली के समय दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खराब होने के संकट से इस साल भी निजात मिलने की राह में मौसम का बदलता रुख रोड़े अटका सकता है। दिवाली से पहले हवाओं का रुख बदलने और इनकी गति मद्धिम पड़ने के मौसम विभाग के पूर्वानुमान और दिवाली में पटाखों के कम ही सही, लेकिन वायु प्रदूषण बढ़ाने में मददगार बनने वाले संभावित असर ने दिल्ली की चिंता को बढ़ा दिया है।

मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा. कुलदीप श्रीवास्तव से मौसम के मिजाज पर भाषा के पांच सवाल ।

सवाल : दिवाली के समय दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिये किये गये प्रयासों में मौसम का मिजाज कितना मददगार साबित होगा?

जवाब: दिल्ली एनसीआर क्षेत्र सहित उत्तर के मैदानी इलाकों में 24 अक्टूबर से हवा के रुख में आयी तब्दीली के चलते अब इस क्षेत्र में उत्तर पश्चिमी हवाओं के बजाय पूर्वी हवा चल रही है। इसकी गति 25 अक्टूबर से लगातार घट रही है। रविवार को दिवाली के बाद 30 अक्टूबर तक हवा की संभावित अधिकतम गति 10 किमी प्रति घंटा तक ही रहने का अनुमान है। हवा की यह गति प्रदूषणकारी पार्टिकुलेट तत्वों को बहा ले जाने में सक्षम नहीं होती है। साथ ही दिवाली पर तमाम प्रयासों के बावजूद थोड़ी बहुत आतिशबाजी से भी होने वाला प्रदूषण हवा की गुणवत्ता के संकट को बढ़ाने की आशंका के मद्देनजर मौसम का साथ नहीं मिलना प्रदूषण की चिंता को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

सवाल : गत 18 दिसंबर को आये पश्चिमी विक्षोभ के कारण तेज गति वाली उत्तर पश्चिमी हवाओं का रुख दिल्ली की तरफ होने से प्रदूषण से राहत मिली थी। अभी विक्षोभ का कितना असर है?

जवाब: बारिश लाने वाली पूर्वी हवाओं का रूख मानसून की वापसी के साथ ही बदल जाता है, लेकिन इसके साथ उत्तर के हिमालयी क्षेत्र से बहने वाली उत्तर पश्चिम हवायें दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सर्द मौसम की वाहक बनती है। मौसम विज्ञान की भाषा में यह पश्चिमी विक्षोभ कहलाता है, जो कि दिवाली के आसपास दिल्ली को प्रदूषण से राहत भी देता है। इसी समय पंजाब हरियाणा में जलने वाली पराली के धुंये को पश्चिमी हवाओं की तेज गति दिल्ली तक असर करती है और प्रदूषणकारी तत्वों को हवा के साथ बहा ले जाने में मददगार होती है। इस साल दिवाली से दस दिन पहले ही पश्चिमी विक्षोभ ने दिल्ली को 18 से 20 तारीख तक वायु प्रदूषण को गंभीर होने से रोकने में मदद की। विक्षोभ का असर खत्म होने के बाद 23 अक्टूबर की रात से एक बार फिर पूर्वी हवा का रुख दिल्ली एनसीआर क्षेत्र की तरफ होने के कारण दिवाली के समय दमघोंटू हवाओं से निपटने में मौसम का साथ मिलने की उम्मीद कम हो गयी।

सवाल : दिवाली के आसपास दिल्ली को वायु प्रदूषण से राहत देने में मौसम के मिजाज की क्या भूमिका होती है?

जवाब : हर साल बारिश के खत्म होने और सर्दी के चरम पर पहुंचने के दौरान अक्टूबर और मध्य नवंबर तक दिल्ली में वायु प्रदूषण का संकट गहराता है। इसकी दो मुख्य वजहें हैं। पहला, पंजाब और हरियाणा की पराली का धुंआ और दूसरा दिल्ली एनसीआर में वाहनों से एवं विकास परियोजनाओं से उड़ने वाली धूल हवा की गुणवत्ता को खराब करती है। इन दोनों कारकों को प्रभावी या निष्प्रभावी करने में मौसम का मिजाज अहम भूमिका निभाता है। दरअसल दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्तर भारत से अक्टूबर में वापसी के बाद समूचे मैदानी इलाकों में पूर्वी हवा की बजाय हिमालयी क्षेत्र से तेज गति की उत्तर पश्चिम हवायें चलने लगती है। हिमालयी क्षेत्र से पंजाब और हरियाणा होते हुये दिल्ली की ओर आने वाली इन हवाओं के साथ पराली का धुंआ भी दिल्ली पहुंचता है। इसी समय होने वाली दिवाली में पटाखों का प्रदूषण हवा के संकट को गहरा देता है। ऐसे में उत्तर पश्चिमी हवाओं की गति 20 किमी प्रति घंटा तक होने पर पार्टिकुलेट तत्व वायुमंडल में ठहरने के बजाय हवा के साथ दिल्ली से आगे निकल जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि मौसम के मिजाज की दिल्ली के वायु प्रदूषण में प्रभावी भूमिका है।

सवाल : इस साल दिवाली के दौरान दिल्ली को मौसम का कितना साथ मिलने की उम्मीद है?

जवाब: दिल्ली एनसीआर क्षेत्र को पश्चिमी विक्षोभ के कारण 18 से 23 अक्टूबर की शाम तक उत्तर पश्चिमी हवाओं ने प्रदूषण का संकट गहराने से बचाने में मदद की। लेकिन 24 अक्टबूर से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र को पूर्वी हवा का मिलना शुरु हुआ। इसकी 25 अक्टूबर तक अधिकतम गति 20 से 22 किमी प्रतिघंटा रहने के बाद 27 अक्टूबर को 10 से 12 किमी प्रति घंटा रही। 28 अक्टूबर से बादल घिरने, तापमान में गिरावट आने और सुबह एवं रात के समय हल्के कोहरे की शुरुआत का पूर्वानुमान है। हवा की गति कम होने और बारिश की कोई अनुमान नहीं होना, हवा की गुणवत्ता में गिरावट में मददगार बनने के स्पष्ट संकेत देता है।

सवाल : दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिहाज से मौसम के मिजाज में कब से तब्दीली की संभावना है?

जवाब: प्रभावी राहत के लिये 18 अक्टूबर की तरह के पश्चिमी विक्षोभ की दरकार है, लेकिन दूरगामी पूर्वानुमान के मुताबिक अगला विक्षोभ 15 से 20 नवंबर और फिर 20 दिसंबर के बाद आने के संकेत हैं। हालांकि मौसम विज्ञान में इतने लंबे समय का पूर्वानुमान व्यर्थ है। तात्कालिक तौर पर यही कहा जा सकता है कि दिवाली के बाद तीन नवंबर तक मौसम से फिलहाल कोई राहत की उम्मीद नहीं है। यह जरूर है कि 31 अक्टूबर के बाद तापमान में गिरावट शुरु होगी और छह नवंबर से हवा की गति बढ़कर 15 से 20 किमी प्रति घंटा तक होने का पूर्वानुमान है। जो कि हवा में घुले दूषित कण दिल्ली से दूर ले जाने में मददगार हो सकती है। इस प्रकार छह नवंबर के बाद ही वायु प्रदूषण से राहत की उम्मीद की जा सकती है।

Web Title: Changing wind trend may deepen the crisis in Delhi after Diwali

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