भारत में दूध उपभोग के बदलते तौर-तरीके: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

By संदीप दाहिमा | Updated: November 26, 2025 15:05 IST2025-11-26T15:05:05+5:302025-11-26T15:05:14+5:30

देश में दूध और डेयरी उत्पादों की खपत के बदलते रुझानों के बावजूद हर 10 में से सात भारतीय अब भी इनका नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। यह जानकारी एक अध्ययन रिपोर्ट से सामने आई है।

Changing Patterns of Milk Consumption in India, A Study Report | भारत में दूध उपभोग के बदलते तौर-तरीके: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

भारत में दूध उपभोग के बदलते तौर-तरीके: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Highlightsभारत में दूध उपभोग के बदलते तौर-तरीके: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

देश में दूध और डेयरी उत्पादों की खपत के बदलते रुझानों के बावजूद हर 10 में से सात भारतीय अब भी इनका नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। यह जानकारी एक अध्ययन रिपोर्ट से सामने आई है। गोदरेज जर्सी की तरफ से जारी ‘भारत दूध-उपभोग निष्कर्ष 25-26’ अध्ययन को शोध फर्म यूगोव ने आठ प्रमुख शहरों में सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया है। शोध में पाया गया कि दूध पीने की पारंपरिक आदतें अब स्मूदी, प्रोटीन शेक और फ्लेवर वाले दूध जैसे विकल्पों की ओर झुक रही हैं। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 58 प्रतिशत उपभोक्ता अब केसर या बादाम जैसे स्वाद वाले दूध को पसंद कर रहे हैं, जबकि 51 प्रतिशत लोग दूध को स्मूदी में मिलाकर पीते हैं। इसके बावजूद चाय और कॉफी दूध के सबसे बड़े माध्यम बने हुए हैं, जहां 59 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि वे दूध की खपत इन पेयों के जरिये करते हैं। बचपन से जुड़ी यादों के कारण 52 प्रतिशत उपभोक्ता अभी भी सादा दूध पीना पसंद करते हैं। इस रिपोर्ट में दूध के सेवन के बदलते तरीकों को लेकर अभिभावकों की चिंताएं भी सामने आई हैं। सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत माता-पिता का मानना है कि बच्चों की दूध खपत घटने से उनकी हड्डियों की में उनके अपने बचपन की तुलना में कमी आ सकती है। वहीं 54 प्रतिशत अभिभावकों को लगता है कि उनके बच्चों की शारीरिक वृद्धि पिछली पीढ़ी के मुकाबले धीमी है।

जिन अभिभावकों ने बच्चों को दूध देना जारी रखा है, उनमें से 73 प्रतिशत ने कैल्शियम जरूरतों, 62 प्रतिशत ने प्रोटीन और ऊर्जा की वजह को प्राथमिकता बताया। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ब्रांडेड दूध का बाजार पर वर्चस्व बढ़ रहा है। अब 64 प्रतिशत परिवार पैकेट वाले एवं ब्रांडेड दूध खरीद रहे हैं, जबकि बिना ब्रांड वाला खुला दूध केवल 21 प्रतिशत घरों में जाता है। इसके अलावा, बादाम और सोया जैसे पौधा-आधारित दूध विकल्पों की हिस्सेदारी भी लगभग 12 प्रतिशत तक पहुंच गई है। ब्रांडेड दूध चुनने के प्रमुख कारणों में गुणवत्ता पर भरोसा (60 प्रतिशत), स्वाद और बनावट में निरंतरता (48 प्रतिशत) और सुविधा (46 प्रतिशत) शामिल रहे। सर्वेक्षण में शामिल 71 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने दूध की स्वच्छता को बेहद अहम बताया। इन तमाम बदलावों के बावजूद डेयरी उत्पादों की परंपरागत लोकप्रियता कायम है। अध्ययन के अनुसार, भारतीय घरों में दही (80 प्रतिशत), पनीर (76 प्रतिशत) और मक्खन (74 प्रतिशत) अब भी नियमित रूप से उपयोग किए जाते हैं। गोदरेज जर्सी के विपणन प्रमुख शांतनु राज ने इस अध्ययन के निष्कर्षों पर कहा, “दूध कहीं जा नहीं रहा, बस उसका गिलास बदल रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी प्रोटीन-युक्त दूध पेय और पोषक तत्वों से भरपूर डेयरी उत्पादों में निवेश कर रही है।” गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड की अनुषंगी गोदरेज जर्सी मुख्य रूप से दक्षिण भारत में अपना कारोबार करती है।

Web Title: Changing Patterns of Milk Consumption in India, A Study Report

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