नई दिल्ली: भारत अब चंद्रयान-4 परियोजना की तैयारी कर रहा है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लाना सुनिश्चित करना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार, 18 अगस्त को चंद्रयान-4 परियोजना समेत कई अहम अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन की तैयारियों को भी हरी झंडी मिल गई है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन का विस्तार करके इसमें और तत्व जोड़े गए हैं। अगला कदम चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजना है। इसके लिए सभी प्रारंभिक कदमों को मंजूरी दे दी गई है। वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान फॉलो-ऑन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तथा अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल विकास को भी मंजूरी दे दी गई है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्र ग्रह पर वैज्ञानिक अन्वेषण तथा शुक्र ग्रह के वायुमंडल, भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने और इसके घने वायुमंडल की जांच कर बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक आंकड़े जुटाने के लिए शुक्र ग्रह परिक्रमा मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दे दी है।
भविष्य के इन मिशनों को सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक नई पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहन को मंजूरी दी गई है, जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा तक अधिकतम 30 टन का पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।
इन नए उपक्रमों के बारे में बोलते हुए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान 4 मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा पर जाने और फिर वापस आने की तकनीक का प्रदर्शन करना है। वापस आना इसका मुख्य उद्देश्य है। चंद्रयान-3 द्वारा वहां उतरना पहले ही प्रदर्शित किया जा चुका है। यदि आपको 2040 के अंत में किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजना है, जो हमारे प्रधानमंत्री का विजन है, तो हमें तकनीक में विश्वास रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी योजना यहाँ भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल BAS-1 को 2028 तक लॉन्च करने की है।
इसरो ने गगनयान मिशन के लिए ऑस्ट्रेलिया में ट्रैकिंग स्टेशन स्थापित किया
इसरो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के हिस्से के रूप में कई मानव रहित परीक्षणों और उड़ानों के लिए तैयार हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया में कोकोस (कीलिंग) द्वीपों पर अस्थायी ग्राउंड ट्रैकिंग स्टेशन स्थापित करने में प्रगति हुई है। ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख एनरिको पालेर्मो ने TOI को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारतीय टीम ने द्वीपों का दौरा किया है, साइट का सर्वेक्षण किया है, पुष्टि की है कि यह उपयुक्त है, और अब सुविधाएँ स्थापित करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई परियोजना प्रबंधक के साथ काम कर रही है।