Chandrayaan-3: मिशन मून के लिए तमिलनाडु ही क्यों इसरो की पहली पसंद? जानें क्या है चंद्रयान का तमिल लिंक

By अंजली चौहान | Updated: August 23, 2023 13:43 IST2023-08-23T13:28:31+5:302023-08-23T13:43:11+5:30

यदि चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरता है, तो तमिलनाडु के पास जश्न मनाने का और भी अधिक कारण होगा। 2012 से, राज्य ने चंद्रयान मिशन की क्षमता का परीक्षण करने के लिए इसरो को मिट्टी प्रदान की है, क्योंकि उस क्षेत्र की मिट्टी चंद्रमा की सतह के बराबर है।

Chandrayaan-3 Why is Tamil Nadu the first choice of ISRO for Mission Moon Learn how the Tamil link of Chandrayaan | Chandrayaan-3: मिशन मून के लिए तमिलनाडु ही क्यों इसरो की पहली पसंद? जानें क्या है चंद्रयान का तमिल लिंक

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

Highlightsतमिलनाडु की मिट्टी का चंद्रयान मिशन में अहम योगदान नमक्कल जिले की भूमि चांद के समान है चंद्रयान 3 पर आज पूरे विश्व की आंखे टिकी हैं

Chandrayaan-3: आज भारत से लेकर पूरे विश्व की नजरें चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग पर टिकी हुई हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा इस अभियान को सफलतापूर्वक यहां तक लाया गया है।

इस मिशन में न सिर्फ पूरे भारत की उम्मीदें जुड़ी है बल्कि उत्तर से लेकर दक्षिण के वैज्ञानिकों की मेहनत का ये कमाल है। इसरो के चंद्रमा मिशन में तमिलनाडु के पुत्रों का अहम योगदान है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, चंद्रयान -2 मिशन निदेशक मयिलसामी अन्नादुराई और चंद्रयान -3 परियोजना निदेशक वीरमुथुवेल पी, जिन्होंने इसरो मिशन में योगदान दिया है। 

इस धरती पर जन्में बेटों ने ही नहीं बल्कि इस धरती की मिट्टी भी चंद्रयान मिशन के लिए बहुत अहम भूमिका निभा रही हैं। अब सवाल उठता है कि तमिलनाडु की मिट्टी का क्या कमाल है और चंद्रयान 3 मिशन में इसने कैसे भूमिका निभाई है। तो इसका जवाब आपको हमारे इस आर्टिकल के जरिए मिलेगा। 

क्यों खास है तमिलनाडु की धरती?

गौरतलब है कि 2012 से चेन्नई से लगभग 400 किमी दूर नमक्कल में चंद्रयान मिशन क्षमता के परीक्षण के लिए इसरो को मिट्टी की आपूर्ति की है क्योंकि उस जिले की मिट्टी चंद्रमा सतह के समान है।

इसने इसरो को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर मॉड्यूल की क्षमता का परीक्षण और परिष्कृत करने में सक्षम बनाया है। यह देखते हुए कि नमक्कल मिट्टी के गुण समान हैं इसलिए अगर चंद्रयान -3 का लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है तो यह तमिलनाडु को खुश होने का एक और कारण देगा।

जानकारी के अनुसार, यह तीसरी बार है कि तमिलनाडु ने अपने महत्वाकांक्षी चंद्रमा मिशनों के परीक्षण के लिए बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी को आवश्यक मिट्टी की आपूर्ति की है।

पेरियार विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के निदेशक, प्रोफेसर एस अंबाझगन के अनुसार, नामक्कल क्षेत्र में मिट्टी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी।

जिससे इसरो को जरूरत पड़ने पर मौके का फायदा उठाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि हम भूविज्ञान में अनुसंधान करने में लगे हुए हैं।

तमिलनाडु में उस प्रकार की मिट्टी है जो चंद्रमा की सतह पर मौजूद है, विशेष रूप से वह जो दक्षिणी ध्रुव (चंद्रमा के) पर मौजूद मिट्टी के समान है। चंद्रमा की सतह पर 'एनोर्थोसाइट' (एक प्रकार की घुसपैठ करने वाली आग्नेय चट्टान) प्रकार की मिट्टी है। 

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम की घोषणा के तुरंत बाद हम इसरो को मिट्टी भेज रहे हैं। 

मालूम हो कि चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के बाद यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। 

नमक्कल की मिट्टी चांद के समान 

प्रोफेसर अंबाझगन ने विस्तार से बताया कि कैसे यह सब शुरू हुआ। उन्होंने पहले चंद्रयान मिशन साल 2008 का जिक्र किया जिसका काम चंद्रमा की परिक्रमा करना था।

चंद्रयान-1 के सफलतापूर्वक होने के बाद इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 की तैयारियों में जुट गए। जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करना था।

उन्होंने कहा, चंद्रयान-2 मिशन में यह योजना बनाई गई थी कि एक रोवर लैंडर मॉड्यूल से बाहर आएगा और चंद्रमा की सतह पर रेंगेगा, इस प्रक्रिया में परीक्षण करेगा।

अंबाझगन ने कहा, “लगभग 50 टन मिट्टी इसरो को भेजी गई थी जो चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी के समान थी।”

उन्होंने कहा कि विभिन्न परीक्षण करने के बाद, इसरो के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि नमक्कल क्षेत्र में उपलब्ध मिट्टी चंद्रमा की सतह से मेल खाती है।

दरअसल, नमक्कल के आसपास के सिथमपुंडी और कुन्नामलाई गांवों और आंध्र प्रदेश और देश के उत्तरी हिस्सों के कुछ क्षेत्रों में मिट्टी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि हम इसरो को उनकी आवश्यकता के अनुसार मिट्टी भेजते रहे हैं। इसरो वैज्ञानिक हमारे द्वारा आपूर्ति की गई मिट्टी पर परीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "यहां तक ​​कि अगर चंद्रयान -4 मिशन भी आता है तो हम इसके लिए मिट्टी की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं।"

Web Title: Chandrayaan-3 Why is Tamil Nadu the first choice of ISRO for Mission Moon Learn how the Tamil link of Chandrayaan

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