चंद्रयान-2: पिछले छह दशकों में लैंडिंग से जुड़े आधे चंद्रमा मिशन रहे सफल!

By भाषा | Updated: September 8, 2019 02:51 IST2019-09-08T02:51:06+5:302019-09-08T02:51:06+5:30

चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया।

Chandrayaan-2: Half-moon missions involving landings in the last six decades have been successful! | चंद्रयान-2: पिछले छह दशकों में लैंडिंग से जुड़े आधे चंद्रमा मिशन रहे सफल!

चंद्रयान-2: पिछले छह दशकों में लैंडिंग से जुड़े आधे चंद्रमा मिशन रहे सफल!

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग (उतरने) से संबंधित केवल आधे चंद्रमा मिशनों को ही पिछले छह दशकों में सफलता मिली है। एजेंसी की तरफ से चंद्रमा के संबंध में जुटाए गए डेटा के मुताबिक 1958 से कुल 109 चंद्रमा मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे। करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे।

इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली। सैंपल रिटर्न उन मिशनों को कहा जाता है जिनमें नमूनों को एकत्रित करना और धरती पर वापस भेजना शामिल है। पहला सफल सैंपल रिटर्न मिशन अमेरिका का ‘अपोलो 12’ था जो नवंबर 1969 में शुरू किया गया था।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।

इस साल इजराइल ने भी फरवरी 2018 में चंद्र मिशन शुरू किया था, लेकिन यह अप्रैल में नष्ट हो गया। भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन शुरू किया था जिसमें एक ‘ऑर्बिटर’ और एक ‘इंपैक्टर’ शामिल था। मिशन की एक उपलब्धि चंद्रमा पर पानी के कणों की खोज थी। पहले चंद्र अभियान की योजना अमेरिका ने 17 अगस्त, 1958 में बनाई, लेकिन पाइनियर 0 का लॉन्च असफल रहा। पहला सफल चंद्र अभियान चार जनवरी 1959 को शुरू किया गया यूएसएसआर का लूना 1 था। यह स‍फलता छठे चंद्र मिशन में मिली।

वर्ष 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और यूएसएसआर ने ही चंद्र मिशन शुरू किए। इन 21 वर्षों में दोनों देशों ने 90 अभियान शुरू किए। इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इस्राइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा। इन देशों ने विभिन्न चंद्रमा मिशन- ऑर्बिटर, लैंडर और फ्लाईबाय (चंद्रमा की कक्षा में रहना, चंद्रमा की सतह पर उतरना और चंद्रमा के पास से गुजरना) शुरू किए।

एक साल से थोड़े अधिक समय के भीतर अगस्त 1958 से नवंबर 1959 के दौरान अमेरिका और यूएसएसआर ने 14 अभियान शुरू किए। इनमें से सिर्फ 3 - लूना 1, लूना 2 और लूना 3 - सफल हुए। ये सभी यूएसएसआर ने शुरू किए थे। इसके बाद जुलाई 1964 में अमेरिका ने रेंजर 7 मिशन शुरू किया, जिसने पहली बार चंद्रमा की नजदीक से फोटो ली।

रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं। पांच महीने बाद मई 1966 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक ऐसे ही एक मिशन सर्वेयर-1 को अंजाम दिया। अपोलो 11 अभियान एक ऐतिहासिक मिशन था जिसके जरिए इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े।

तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की। जापान ने जनवरी 1990 में ऑर्बिटर मिशन हिटेन शुरू किया। यह जापान का पहला चंद्रमा मिशन भी था। इसके बाद जापान ने सितंबर 2007 में एक और ऑर्बिटर मिशन ‘सेलेन’ शुरू किया। 2000 से लेकर 2009 तक छह चंद्रमा मिशन शुरू किए गए।

इनमें यूरोप का स्मार्ट-1, जापान का सेलेन, चीन का चेंज’ई 1, भारत का चंद्रयान-1 और अमेरिका का लूनर रिकॉनेंसा ऑर्बिटर और एलसीसीआरओएसएस शामिल है। 2000 से 2019 तक 10 मिशन शुरू किए गए जिनमें से पांच चीन ने, तीन अमेरिका ने और एक-एक भारत और इजराइल ने भेजे। 1990 से अमेरिका, जापान, भारत,यूरोपीय संघ, चीन और इजराइल ने 19 चंद्रमा मिशन शुरू किए।

Web Title: Chandrayaan-2: Half-moon missions involving landings in the last six decades have been successful!

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