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चीन की चुनौती से निपटने के लिए सरकार गंभीर, बनाए जा रहे हैं उन्नत एयरबेस, रेलवे लाईन, सीमा सड़क और पुलों पर भी काम तेजी से जारी

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: November 13, 2023 14:09 IST

भारतीय वायुसेना के पास अब 25 हवाई क्षेत्र हैं जहां से वे चीन में अभियान शुरू कर सकते हैं। भारतीय वायुसेना चीन सीमा के पास अपने उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) को तेजी से अपग्रेड कर रही है।

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ठळक मुद्देचीन से नजदीक स्थित भारतीय क्षेत्रों में सैन्य तैयारियां पुख्ता करने पर जोर दिया जा रहा हैवायुसेना के पास अब 25 हवाई क्षेत्र हैं जहां से वे चीन में अभियान शुरू कर सकते हैं।अरुणाचल में, तेजू, पासीघाट और होलोंगी में तीन नए हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया गया है

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले तीन साल से भी ज्यादा समय से सीमा पर तनाव है। गलवान की घटना के बाद से ही पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना की भारी तैनाती है। चीन से आने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना के साथ वायुसेना भी अपनी तैयारियां पुख्ता करने में जुटी हुई है। सरकार भी इस मामले पर गंभीर है क्योंकि सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि आने वाले समय में पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन से संभावित युद्ध का खतरा है।

ऐसे में वास्तविक नियंत्रण रेखा, चीन से लगती सीमा और चीन से नजदीक स्थित भारतीय क्षेत्रों में सैन्य तैयारियां पुख्ता करने पर जोर दिया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के पास अब 25 हवाई क्षेत्र हैं जहां से वे चीन में अभियान शुरू कर सकते हैं। भारतीय वायुसेना चीन सीमा के पास अपने उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) को तेजी से अपग्रेड कर रही है। पूर्वी लद्दाख में, दौलत बेग ओल्डी, फुकचे और न्योमा में हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया जा रहा है और पुरानी हवाई पट्टियों को अपग्रेड किया जा रहा है। न्योमा एयर बेस वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग  50 किमी दूर है, इसे ऐसे विकसित किया जा रहा है जिससे कि यहां से लड़ाकू विमान, उन्नत सैन्य ड्रोन और मिसाइल रोधी प्रणाली को संचालित किया जा सके।

न्योमा एयर बेस 13,700 फीट की ऊंचाई पर है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र है। यह लेह और थोइस के बाद लड़ाकू विमानों का संचालन करने वाला  लद्दाख में तीसरा हवाई अड्डा होगा। इसके अलावा अरुणाचल में, तेजू, पासीघाट और होलोंगी में तीन नए हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया गया है। यही नहीं 2014 से 2020 के बीच चीन सीमा से जुड़े क्षेत्रों में 14,450 मीटर पुल और 4,764 किमी सीमा सड़कों का निर्माण किया गया है। अधिकांश सड़क निर्माण भारत-चीन सीमा सड़क (आईसीबीआर) कार्यक्रम के तहत हो रहा है।  

अन्य गतिविधियों में भारतीय रेलवे पूर्वोत्तर में तीन रणनीतिक लाइनों का निर्माण कर रही है ताकि भारतीय सेना को तेजी से सीमा पर भारी हथियारों के साथ पहुंचाया जा सके। अरुणाचल प्रदेश में भालुकपोंग और तवांग के बीच 200 किमी की लाइन पर काम चल रहा है। असम के सिलापाथर को अरुणाचल के अलोंग से जोड़ने के लिए  87 किमी की लाइन बनाई जा रही है। रूपाई (असम) और पासीघाट (अरुणाचल) के बीच 217 किमी लंबी लाइन, लखीमपुर (असम) और जीरो के बीच 125 किमी लंबी लाइन की योजना है। वहीं 489 किमी लंबी हाई-एलिवेशन भानुपली (पंजाब)-लेह रेल लाइन पर भी काम चल रहा है।

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