वैश्विक प्रेस सूचकांक से असहमत, सरकार ने लोकसभा में कहा- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध
By विशाल कुमार | Updated: February 9, 2022 14:45 IST2022-02-09T14:41:04+5:302022-02-09T14:45:10+5:30
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पूछा था कि क्या कश्मीर और पूरे देश में पत्रकारों को सरकारी एजेंसियों द्वारा आईपीसी, यूएपीए और अन्य कानूनों के तहत लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और अगर ऐसा है तो क्या यही कारण है कि भारत वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 142वें स्थान पर आता है।

वैश्विक प्रेस सूचकांक से असहमत, सरकार ने लोकसभा में कहा- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा में कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।उसने कहा कि वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक विदेशी गैर सरकारी संगठन रिपोर्टर्स बिदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इसलिए वह उसके विचारों और रैंकिंग को नहीं मानती है।
लोकसभा सांसद मनीष तिवारी के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार विभिन्न कारणों से इस संगठन द्वारा निकाले गए निष्कर्षों से सहमत नहीं है, जिसमें सैंपल का बहुत कम आकार, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को बहुत कम या कोई महत्व नहीं देना, एक ऐसी कार्यप्रणाली को अपनाना जो संदिग्ध और गैर-पारदर्शी हो, प्रेस की स्वतंत्रता की स्पष्ट परिभाषा का अभाव आदि शामिल हैं।
तिवारी ने पूछा था कि क्या कश्मीर और पूरे देश में पत्रकारों को सरकारी एजेंसियों द्वारा आईपीसी, यूएपीए और अन्य कानूनों के तहत लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और अगर ऐसा है तो क्या यही कारण है कि भारत वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 142वें स्थान पर आता है।
तिवारी ने यह भी पूछा था कि क्या 15 जनवरी, 2022 को कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ बिना किसी वारंट और दस्तावेज के कश्मी प्रेस क्लब में घुसी थी।
इस पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि फिलहाल कश्मीर प्रेस क्लब जैसी कोई पंजीकृत संस्था नहीं है। विभाग ने 17 जनवरी, 2022 को श्रीनगर के कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में सरकारी बिल्डिंग को वापस कब्जे में ले लिया था।