केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलः सीआईएसएफ में 24,098 कर्मियों की भर्ती, स्वीकृत संख्या बढ़ाकर 2.20 लाख
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2025 19:36 IST2025-08-05T19:35:54+5:302025-08-05T19:36:45+5:30
Central Industrial Security Force: विमानन और बंदरगाह जैसे उभरते क्षेत्रों के अलावा नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में मार्च 2026 के बाद स्थापित किए जाने वाले औद्योगिक केंद्रों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जा सके।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या में 20,000 की वृद्धि की है, ताकि उन्हें विमानन और बंदरगाह जैसे उभरते क्षेत्रों के अलावा नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में मार्च 2026 के बाद स्थापित किए जाने वाले औद्योगिक केंद्रों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जा सके। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि 1969 में गठित सीआईएसएफ में कर्मियों की वास्तविक संख्या 2024 तक 1,62,000 थी। उन्होंने बताया कि 2024 में सीआईएसएफ में कुल 13,230 कर्मियों की नियुक्ति की गई और 2025 के अंत तक और 24,098 कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है।
अधिकारियों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक पत्र लिखकर बल की “अधिकृत सीमा” को मौजूदा दो लाख कर्मियों से बढ़ाकर 2.20 लाख करने की अधिसूचना जारी की है। उन्होंने बताया कि 2.20 लाख कर्मियों की स्वीकृत संख्या पर पहुंचने तक सीआईएसएफ में हर साल 14,000 कर्मियों की नियुक्ति किए जाने की उम्मीद है।
अधिकारियों के अनुसार, इस वृद्धि से हवाई अड्डों, बंदरगाहों, ताप विद्युत संयंत्रों, परमाणु प्रतिष्ठानों, पनबिजसी संयंत्रों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सीआईएसएफ की तैनाती बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नयी मानवशक्ति का इस्तेमाल खास तौर पर नये औद्योगिक केंद्रों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा।
जिन्हें मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने की केंद्र सरकार की घोषणा के मद्देनजर नक्सली हिंसा से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित किए जाने की संभावना है। अधिकारियों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने सीआईएसएफ को एक ऐसी नीति लागू करने का भी निर्देश दिया है। जिससे “निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों और सुविधाजनक ड्यूटी स्टेशनों” में तैनात कर्मियों का नियमित रूप से तबादला सुनिश्चित हो, जो संगठन में “पेशेवर रुख और अभियानगत लचीलापन विकसित करने” के लिए अहम है।