लाइव न्यूज़ :

जयंती विशेषः गर्लफ्रेंड की मांग खून से भरकर सरहद पर गए थे कैप्टन विक्रम बत्रा, वापस लौटे तो तिरंगे में लिपटकर!

By आदित्य द्विवेदी | Updated: September 9, 2019 12:09 IST

Captain Vikram Batra Birthday Special: कैप्टन विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड डिंपल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब एक बार उन्होंने विक्रम से शादी के लिए कहा तो उन्होंने चुपचाप ब्लेड से अपना अंगूठा काटकर उनकी मांग भर दी थी। विक्रम वापस तो लौटे लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

Open in App
ठळक मुद्देविक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ था। कारगिल वार से लौटकर कैप्टन बत्रा अपनी गर्लफ्रेंड डिंपल से शादी करने वाले थे।

जंग के मैदान से प्यार की रूहानी जमीन तक, विक्रम बत्रा ने पूरे समर्पण से अपने कर्तव्य का निर्वाह किया। युद्ध के मैदान का देश गवाह है कि कैसे अपनी रणनीति और जांबाजी से उन्होंने कारगिल युद्ध के समय प्वाइंट 5140, प्वाइंट 4750 और प्वाइंट 4875 से दुश्मनों को खदेड़ दिया था। प्यार की गवाह उनकी गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा हैं। कारगिल वार से लौटकर वो डिंपल से शादी करने वाले थे।

एक न्यूज वेबसाइट को इंटरव्यू देते हुए डिंपल ने बताया था कि जब एक बार उन्होंने विक्रम से शादी के लिए कहा तो उन्होंने चुपचाप ब्लेड से अपना अंगूठा काटकर उनकी मांग भर दी थी। विक्रम वापस तो लौटे लेकिन तिरंगे में लिपटकर। युद्ध के मैदान में कही गई विक्रम बत्रा की बातें पूरे देश में छा गई।

सात जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स के ऑफिसर कैप्टन विक्रम बत्रा अपने टुकड़ी के साथ प्वाइंट 4875 पर मौजूद दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। तभी उनके जूनियर ऑफिसर लेफ्टिनेंट नवीन के पास एक विस्फोट हुआ। इसमें नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गए। कैप्टन बत्रा नवीन को बचाने के लिए पीछे घसीटने लगे, तभी उनकी छाती में गोली लगी और 7 जुलाई 1999 को भारत का 'शेर शाह' शहीद हो गया। अलसुबह चोटी पर तिरंगा तो लहराया लेकिन इस देश ने अपना एक जाबांज लाल खो दिया। उनके आखिरी शब्द थे- जय माता दी।

रियल लाइफ हीरो थे कैप्टन विक्रम बत्राः जरूरी बातें  - विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ था। उनके पिता का नाम जीएम बत्रा और माता का नाम कमलकांता बत्रा है।

- उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। उन्होंने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की। यहीं डिंपल से उनकी पहली मुलाकात हुई थी।

- 1996 में विक्रम ने इंडियन मिलिटरी एकेडेमी की परीक्षा पास की। उन्हें मर्चेंट नेवी में नौकरी मिली थी लेकिन उन्होंने सेना में जाने का फैसला किया। 

- 6 दिसंबर 1997 को 13 जेके राइफल्स में विक्रम बत्रा को लेफ्टिनेंट के पद पर तैनाती मिली। सेना में तैनाती मिलने के डेढ़ साल के अंदर ही उन्हें कारगिल वार में भेज दिया गया।

- हम्प और राकी नाब में अदम्य उत्साह से विजय मिलने के बाद उन्हें कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई दुर्गम चोटियां फतेह की। 20 जून 1999 को करीब 3 बजे प्वाइंट 5140 में तिरंग फहराने के बाद उन्होंने कहा था ये दिल मांगे मोर।

टॅग्स :कारगिल विजय दिवसवीरगतिभारतीय सेना
Open in App

संबंधित खबरें

भारतऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने उरी हाइड्रो प्लांट पर हमला करने का किया था प्रयास, CISF ने ऐसे किया नाकाम

भारतTejas Fighter Jet Crashes: भारत का तेजस फाइटर जेट क्रैश, देखें दिल दहला देने वाला वीडियो

भारतWATCH: भारतीय सेना ने नए वीडियो में टैक और पैदल सेना के तालमेल की दिखाई पावरफुल झलक

क्रिकेटIndia A vs South Africa A, 2nd Unofficial Test: पहली पारी में नाबाद 132 और दूसरी पारी में नाबाद 127 रन, कोलकाता टेस्ट से पहले जुरेल का शानदार प्रदर्शन

क्राइम अलर्टसाबरमती एक्सप्रेस में ट्रेन अटेंडेंट ने भारतीय सेना के जवान को चाकू से मार डाला, ट्रेन में बेडशीट को लेकर हुआ था झगड़ा

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई