याचिका में ‘टॉम, डिक, हैरी’ जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते :दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: March 2, 2021 20:52 IST2021-03-02T20:52:37+5:302021-03-02T20:52:37+5:30

Cannot use language like 'Tom, Dick, Harry' in petition: Delhi High Court | याचिका में ‘टॉम, डिक, हैरी’ जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते :दिल्ली उच्च न्यायालय

याचिका में ‘टॉम, डिक, हैरी’ जैसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते :दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, दो मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका में ‘‘टॉम, डिक और हैरी’’ जैसे वाक्य का इस्तेमाल किये जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि अदालती याचिकाओं में इस तरह की चलताऊ भाषा की अनुमति नहीं है।

उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) से संबद्ध एक शिकायत करने वाली याचिका पर यह टिप्पणी की।

अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह अदालती खर्च की भरपाई करने का निर्देश नहीं दे रही है क्योंकि याचिकाकर्ता खुद उपस्थित हुआ है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने खुद से ही याचिका तैयार की (लिखी) है और एक पैराग्राफ को देखने से यह लगता है कि याचिका में आम बोल-चाल की भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘इस पैराग्राफ में लिखा हुआ है: ‘...द एए/एनसीएलटी किसी व्यक्ति-‘टॉम, डिक और हैरी’-को प्रतिनिधित्व करने और प्रतिवादी का बचाव करने की अनुमति आईबीसी (दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता) के तहत नहीं दे सकती क्योंकि नियम इसकी अनुमति नहीं देते हैं। ’’

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में एनसीएलटी और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के खिलाफ शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि इन अधिकरणों ने गलत प्रक्रियाएं अपनाई हैं।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता उचित तरीके से याचिका तैयार करके उसे दायर करे

अदालत ने कहा, ‘‘फिलहाल, याचिकाकर्ता ने मौजूदा याचिका वापस लेने की इच्छा प्रकट की है। याचिका वापस ली गई मानते हुए खारिज की जाती है, हालांकि याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार राहत पाने की छूट प्राप्त है। चूंकि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ है, इसलिए यह अदालत इस वक्त उसपर कोई अदालती खर्च नहीं लगा रही है।

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Web Title: Cannot use language like 'Tom, Dick, Harry' in petition: Delhi High Court

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