अदालत को केंद्र और दिल्ली के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनने दे सकते : न्यायालय

By भाषा | Updated: May 6, 2021 22:03 IST2021-05-06T22:03:59+5:302021-05-06T22:03:59+5:30

Cannot allow court to become a place of accusation between Center and Delhi: Court | अदालत को केंद्र और दिल्ली के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनने दे सकते : न्यायालय

अदालत को केंद्र और दिल्ली के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनने दे सकते : न्यायालय

नयी दिल्ली, छह मई उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह देश की शीर्ष अदालत को केंद्र और दिल्ली सरकार के आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनने दे सकते हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन आपूर्ति के मुद्दे पर एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा को चेतावनी दी और कहा कि हर किसी को सहयोगात्मक तरीके से काम करना चाहिए।

पीठ ने मेहता और मेहरा से कहा, ‘‘ हम स्पष्ट कर रहे हैं कि यह विरोध की याचिका नहीं है। हम इस संवैधानिक अदालत को दो सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जगह नहीं बनने दे सकते हैं। हम चाहते हैं कि हर किसी को सहयोगात्मक तरीके से काम करना चाहिए।’’

मेहरा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद केंद्र ने दिल्ली को जरूरी ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की और बृहस्पतिवार को भी उनके आकलन के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई।

इस पर मेहता ने पीठ से कहा कि केंद्र ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन किया और 700 एमटी ऑर्डर के बावजूद दिल्ली को बुधवार को 730 एमटी ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई।

नरेंद्र मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि देश के लोगों ने दो बार उसे जनादेश दिया है और सरकार इस बात को समझती है कि लोग कोविड-19 से पीड़ित हैं और सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर वह ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

इसने दिल्ली सरकार के इस आरोप से इंकार किया कि ऑक्सीजन का आवंटन मनमाने तरीके से किया जा रहा है और राज्यों को ऑक्सीजन के आवंटन एवं वितरण के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाई गई है।

उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि दिल्ली सरकार ने इसे ‘‘केंद्र बनाम दिल्ली की लड़ाई’’ बना दिया है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार को केवल दिल्ली पर ध्यान देने के बजाए हर राज्यों की मांग पर गौर करना होता है।

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