कोलकाता हाईकोर्ट: बंद लिफाफे में दस्तावेज स्वीकार करने के खंडपीठ के आदेश पर जज ने जताई आपत्ति, कहा- यह दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर
By विशाल कुमार | Published: March 31, 2022 07:04 AM2022-03-31T07:04:09+5:302022-03-31T07:09:03+5:30
जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रवींद्रनाथ सामंत की एक खंडपीठ ने आदेश दिया कि हलफनामा एक सीलबंद लिफाफे में रहेगा और इसे मुकदमेबाजी करने वाले पक्षों को नहीं बताया जाएगा तथा संबंधित मुद्दों पर अंतिम निर्णय के समय इसका उचित रूप से निस्तारण किया जाएगा।
कोलकाता: कोलकाता हाईकोर्ट के एक जज ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में उनके निर्देश को चुनौती देने वाली एक अपील पर निर्देश पारित करने वाली खंडपीठ के आदेश को बुधवार को ‘‘दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर’’ बताया।
जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने 25 मार्च को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के पूर्व सलाहकार शांति प्रसाद सिन्हा को अपनी संपत्ति का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
निर्देश के खिलाफ सिन्हा द्वारा अपील करने के बाद जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रवींद्रनाथ सामंत की एक खंडपीठ ने आदेश दिया कि हलफनामा एक सीलबंद लिफाफे में रहेगा और इसे मुकदमेबाजी करने वाले पक्षों को नहीं बताया जाएगा तथा संबंधित मुद्दों पर अंतिम निर्णय के समय इसका उचित रूप से निस्तारण किया जाएगा।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए अफसोस है कि यह अपीलीय अदालत द्वारा व्यक्त किए गए दोहरे मानदंड का उच्चतम स्तर है, जिसके बारे में उसे अच्छी तरह पता है। लेकिन न्यायिक अनुशासन बनाए रखने के लिए मुझे इस तरह के आदेश को स्वीकार करना होगा।’’ उन्होंने मामले की सुनवाई पांच अप्रैल तक स्थगित कर दी।
बता दें कि, खंडपीठ ने इससे पहले जस्टिस गंगोपाध्याय के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें कथित भर्ती घोटाले की जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया गया था।
इसके बाद जस्टिस गंगोपाध्याय के सीबीआई जांच वाले आदेश पर एक बार दो हफ्ते और दूसरी बार चार हफ्ते तक रोक भी लगा दी गई थी।