मंत्रिमंडल ने शहरी विकास के लिए भारत-जापान के बीच सहयोग ज्ञापन को मंजूरी दी
By भाषा | Updated: June 2, 2021 22:42 IST2021-06-02T22:42:12+5:302021-06-02T22:42:12+5:30

मंत्रिमंडल ने शहरी विकास के लिए भारत-जापान के बीच सहयोग ज्ञापन को मंजूरी दी
नयी दिल्ली, 2 जून केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सतत शहरी विकास के लिए जापान के साथ सहयोग ज्ञापन (एमओसी) को बुधवार को अनुमति प्रदान कर दी । इसके माध्यम से रोजगार के अवसर सृजित किये जाने की उम्मीद है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को अनुमति दी गई ।
सरकारी बयान के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सतत शहरी विकास के लिए भारत के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय तथा जापान के भूमि, आधारभूत ढांचा, परिवहन एवं पर्यटन मंत्रालय के बीच सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने को अनुमति दी। यह सहयोग ज्ञापन शहरी विकास के माध्यम से 2007 में किए गए समझौता-ज्ञापन का स्थान लेगा।
इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, " केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज महत्वपूर्ण फैसले किये। "
उन्होंने कहा, " मालदीव, जापान के साथ सतत शहरी विकास पर केन्द्रित समझौते को मंजूरी दी गई. इससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा स्मार्ट सिटी के विकास, ठोस कचरा प्रबंधन, हरित आवागमन के क्षेत्र में मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों को बढावा मिलेगा। "
जयशंकर ने अर्जेंटीना के साथ खनिज क्षेत्र में सहयोग समझौते का भी उल्लेख किया
सरकारी बयान के अनुसार भारत जापान के बीच इस सहयोग-ज्ञापन के तहत सहयोग कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करने और रणनीति तैयार करने के लिये एक संयुक्त कार्य-दल गठित किया जायेगा। संयुक्त कार्य-दल की बैठक साल में एक बार होगी और इसे बारी-बारी से जापान और भारत में आयोजित किया जायेगा।
बयान के अनुसार, इस सहयोग समझौता-ज्ञापन के तहत सहयोग उसी दिन से शुरू हो जायेगा, जिस दिन हस्ताक्षर किए जायेंगे। समझौते की अवधि पांच साल है। पांच साल की अवधि पूरी होने पर उसका नवीनीकरण अगले पांच साल के लिए अपने-आप हो जायेगा।
सरकार का मानना है कि समझौता-ज्ञापन से दोनों देशों के बीच सतत शहरी विकास के क्षेत्र में मजबूत, गहरे और दीर्घकालिक द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
बयान के अनुसार, समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य भारत और जापान के बीच सतत शहरी विकास के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को मजबूत बनाना है।
इसमें शहरी नियोजन, स्मार्ट सिटी विकास, सस्ते आवास (किराये के मकान सहित), शहरी बाढ़ प्रबंधन, सीवर और अपशिष्ट जल प्रबंधन, शहरी यातायात (बौद्धिक यातायात प्रबंधन प्रणाली, यातायात की सुविधा से लैस विकास और बहुपयोगी एकीकरण सहित) तथा आपदा का सामना करने योग्य विकास समेत सतत शहरी विकास से जुड़े विभिन्न पहलु शामिल हैं।
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