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CAA: लखनऊ में प्रदर्शन कर रही मुनव्वर राणा की दो बेटियों समेत सैकड़ों अज्ञात महिलाओं के खिलाफ दर्ज हुआ 3 FIR, अब भी जारी है प्रदर्शन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 21, 2020 11:51 IST

हाथों में सीएए और एनआरसी वापस लेने संबंधी नारे लिखे बैनर और तख्तियां लिए करीब 50 महिलाओं और बच्चों ने शनिवार शाम से पुराने लखनऊ के स्थित घंटाघर प्रांगण में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो अभी जारी है।

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ठळक मुद्देबड़ी संख्या में महिलाएं घंटा घर के पास जमा होकर इस नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रही हैं।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के खिलाफ वह कोर्ट जाएंगी।

लखनऊ में शाहीन बाग की तर्ज पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रशासन सक्रिय हो गई है। प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए इस मामले में तीन केस दर्ज किया है। इसमें मुनव्वर राणा की दो बेटियों का नाम भी दर्ज है।  पुलिस मुकदमें में इशके अलावा सैकड़ों अन्य लोगों के नाम दर्ज हैं। इन सबके बावजूद बड़ी संख्या में महिलाएं घंटा घर के पास जमा होकर इस नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रही हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस कार्रवाई के खिलाफ वह कोर्ट जाएंगी।

बता दें कि दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर अब पुराने लखनऊ में भी महिलाओं और बच्चों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को वापस लेने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया है। हाथों में सीएए और एनआरसी वापस लेने संबंधी नारे लिखे बैनर और तख्तियां लिए करीब 50 महिलाओं और बच्चों ने शनिवार शाम से पुराने लखनऊ के स्थित घंटाघर प्रांगण में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो अभी जारी है।

इस प्रदर्शन की जानकारी मिलने पर पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे अपने मातहत अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और महिलाओं को समझाने का प्रयास किया लेकिन महिलाओं ने मांग पूरी न होने तक अपना प्रदर्शन समाप्त करने से मना कर दिया। प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके इस कार्यक्रम में व्यवधान डालने के लिए रात में घंटाघर की बिजली काट दी गई और जबरदस्त ठंड से बचाव के लिए उन्हें तंबू भी नहीं लगाने दिया गया।

बहरहाल इन मुश्किलों के बावजूद महिलाएं और बच्चे वहीं पर बैठे रहे और उनका प्रदर्शन सुबह भी जारी रहा। प्रदर्शन में शामिल युवती वरीशा सलीम ने कहा था कि यह प्रदर्शन दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन की तर्ज पर ही है और जब तक एनआरसी और सीएए को वापस नहीं लिया जाता तब तक यह जारी रहेगा।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं का समर्थन करने पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर ने 'भाषा' से बातचीत में कहा कि सीएए एक असंवैधानिक क़ानून है और यह देश की आत्मा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर पुलिस ने इन महिलाओं के बच्चों को सड़कों पर मारा, घरों में घुसकर तोड़फोड़ की और संगीन धाराएं लगाकर हिरासत में जुल्म किया। ऐसे में महिलाओं ने कहा है कि अब वह देखेंगी कि पुलिस उनका दमन करने के लिए क्या तरीके अपनाती है।

टॅग्स :नागरिकता संशोधन कानूनकैब प्रोटेस्टलखनऊकेसउत्तर प्रदेश
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