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बुराड़ी कांडः 'भाटिया नहीं चुंडावत है मेरे चाचा का नाम', भतीजी ने सुनाए कई अनसुने किस्से

By भाषा | Updated: July 8, 2018 10:56 IST

मैं प्रियंका दीदी के बहुत करीब थी और सभी चचेरे भाई - बहनों ने उसकी शादी पर चर्चा के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था।

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नयी दिल्ली , 8 जुलाई: बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की रहस्यमय मौत के देश में चर्चा का मुद्दा बनने के साथ ही परिवार की एक लड़की ने कहा है कि दुनिया उन्हें तंत्र - मंत्र करने वाले परिवार के रूप में देख रही है और मीडिया उन्हें अपने परिजनों की मौत का दुख भी नहीं मनाने दे रहा है।

नारायण देवी की पोती विशाखा चुंडावत ने पीटीआई के साथ बातचीत में कहा कि मीडिया की लगातार सुर्खियों और ‘‘ उनके चाचा पर उनके पिता की आत्मा आने ’’ जैसी पेश की जा रहीं विभिन्न थ्योरी के चलते उन्हें अपने परिजनों की मौत का मातम मनाने का भी समय नहीं मिला है। परिवार के 11 लोगों के कथित तौर पर जान देने की इस घटना में नारायण देवी भी अपने दो बेटों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घर में मृत मिली थीं। 

विशाखा नारायण देवी के सबसे बड़े बेटे दिनेश की पुत्री हैं जिनका निवास राजस्थान के कोटा में है। सुजाता जो अपने परिवार के साथ पानीपत में रहती हैं , वह नारायण देवी की दूसरी जीवित बची संतान हैं। बातचीत में विशाखा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके परिवार का उपनाम भाटिया नहीं , बल्कि सिंह चुंडावत है। उन्होंने कहा कि 11 लोगों में केवल दो प्रियंका और उसकी मां प्रतिभा ही भाटिया थीं। विशाखा ने कहा , ‘‘ हम अपने नाम के पीछे सिंह चुंडावत लिखते हैं। मेरे चाचा का नाम ललित सिंह चुंडावत था , न कि ललित भाटिया। ’’

संबंधित परिवार के तंत्र - मंत्र में विश्वास संबंधी बातों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सभी चचेरे भाई - बहन प्रियंका (मृतकों में से एक) की शादी को लेकर उत्साहित थे और ‘‘ मोक्ष संबंधी उल्लेख वाले रजिस्टरों जैसी चीजों ’’ को लेकर उनके बीच कभी कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा , ‘‘ हमने अपने परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया है। मैं प्रियंका दीदी के बहुत करीब थी और सभी चचेरे भाई - बहनों ने उसकी शादी पर चर्चा के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। शादी को लेकर असल में हम बहुत रोमांचित थे क्योंकि यह हम चचेरे भाई - बहनों में पहली शादी थी। ’’ 

विशाखा ने कहा , ‘‘ उसने (प्रियंका) इस तरह की चीजों (मोक्ष संबंधी उल्लेख वाले वाले रजिस्टरों)’’ के बारे में कभी कोई बात नहीं की। इसकी जगह हम इस बारे में बात करते थे कि उसकी शादी वाले दिन उसकी सुंदरता को और निखारने के लिए क्या - क्या उपाय किए जाएं। ’’ उन्होंने कहा कि मीडिया की सुर्खियों और ‘‘ उनके चाचा पर उनके पिता की आत्मा आने ’’ तथा ‘‘11 डायरियों ’’ के बारे में विभिन्न थ्योरी के चलते उन्हें अपने परिजनों की मौत का दुख मनाने का भी समय नहीं मिला है। 

विशाखा ने कहा कि उनके चाचा ललित किसी भी ‘‘ मनोविकार ’’ से ग्रस्त नहीं थे और वह ‘‘ पूरी तरह सामान्य ’’ थे। उन्होंने कहा , ‘‘ हम अपनी दादी के घर जाते थे। मेरा भाई भी अक्सर उनके घर जाता था और हमने कभी भी उन्हें (ललित) ऐसा व्यवहार करते नहीं देखा कि उनके ऊपर मेरे दादा की आत्मा आती थी। ’’ विशाखा ने कहा , ‘‘ यदि ऐसा कुछ होता तो हमें कम से कम एकाध बार तो दिखता। जब हम वहां थे तो वह पूरी तरह प्रसन्न थे और मेरी चचेरी बहन की सगाई से एक दिन पहले 16 जून को खूब नाचे थे। ’’

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उन्होंने कहा कि घर में उन्होंने कभी भी ऐसा कोई रजिस्टर नहीं देखा जिसमें मोक्ष संबंधी कोई जिक्र हो। विशाखा ने कहा , ‘‘ प्रियंका दीदी की सगाई पर मैं दो साल बाद बुराड़ी स्थित अपनी दादी के घर गई थी। हम वहां 11 जून से 19 जून तक रहे। हम मंदिर भी गए थे। घर में केवल हनुमान चालीसा और भगवद् गीता रखी थीं। हमने ऐसा कोई रजिस्टर नहीं देखा। ’’ सीसीटीवी फुटेज में परिवार के सदस्यों के स्टूल और तार घर के अंदर लाते दिखने के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी चाची ट्यूशन पढ़ाती थीं और हो सकता है कि बच्चों के बैठने के लिए स्टूल लाए गए हों। उन्होंने कहा कि ये सब बातें झूठी हैं कि एक दुर्घटना के बाद ललित के ‘ चमत्कारिक ’ उपचार के बाद परिवार आध्यात्मिक हो गया।

विशाखा ने कहा , ‘‘ मेरे चाचा तब दुर्घटना के शिकार हुए थे जब वह प्लाईवुड की दुकान में आग लगने के बाद वहां घिर गए थे। लकड़ी के कुछ टुकड़े उनके ऊपर गिर पड़े जिससे उनकी आवाज चली गई। वह कड़कड़डूमा में एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे। डॉक्टरों ने उन्हें एक्सरसाइज करने का परामर्श दिया था जिससे उन्हें ठीक होने में मदद मिली। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ चमत्कार से उपचार केवल फिल्मों में होता है , न कि असल जिन्दगी में। ’’ विशाखा ने कहा कि समूचा परिवार कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा , ‘‘ हम अपने दुख से पार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और हमारे बारे में समूची दुनिया में बनी इस अवधारणा से भी कि हम तंत्र - मंत्र करते थे। घटना को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी स्थान मिला है। इस समय हमारा मस्तिष्क पूरी तरह खाली है , लेकिन मुझे उम्मीद है कि सच जल्द सामने आएगा। ’’ 

परिवार के 11 सदस्यों में से 10 फांसी के फंदे से लटके मिले थे , जबकि घर की मुखिया 77 वर्षीय नारायण देवी घर के एक कमरे में फर्श पर पड़ी मिली थीं। नारायण देवी की बेटी प्रतिभा (57) और दो बेटे भवनेश (50) तथा ललित (45) भी मृतकों में शामिल थे। भवनेश की पत्नी सविता (48) और उनके तीन बच्चे - मेनका (23), नीतू (25) और धीरेंद्र (15) भी मृत मिले थे। फंदे पर लटके मिले अन्य लोगों में ललित की पत्नी टीना (42), उनका 15 साल का बेटा दुष्यंत और प्रतिभा की बेटी प्रियंका भी शामिल थी जिसकी पिछले महीने ही सगाई हुई थी और इस साल के अंत तक उसकी शादी होनी थी। गत बुधवार को पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज हासिल की थी जिसमें परिवार के कुछ सदस्य स्टूल और तार लाते दिखे जिनका इस्तेमाल फांसी लगाने में किया गया। पुलिस को 11 डायरी भी मिली थीं जिनमें कथित आध्यात्मिक चिंतन और ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग जैसी चीजों का उल्लेख है।

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